बता दें कि बीते 22 सितंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दादरी के मिहिर भोज इंटर कॉलेज में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण किया था। जिसके बाद से उनकी जाति को लेकर विवाद छिड़ गया है। विवाद के बाद जिस प्रतिमा का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अनावरण किया उसमें गुर्जर शब्द हटा दिया गया था, जिसको लेकर गुर्जर बिरादरी में जबरदस्त रोष है।
बताया जाता है कि सरकार ने ऐसा ठाकुर बिरादरी के दबाव में किया, जो सम्राट मिहिर भोज पर अपना दावा जता रहे हैं। इसी विवाद के बीच तीन दिन पहले गुर्जरों की दादरी के आसपास कई बड़ी पंचायत हुई। जिसके बाद मूर्ति का दोबारा गंगाजल से शुद्धिकरण किया गया और इसके आगे गुर्जर शब्द जोड़ दिया गया।
इसी बीच मंगलवार को एक नए घटनाक्रम में मूर्ति के शिलापट पर लिखे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश सरकार में मंत्री अशोक कटारिया, सांसद सुरेन्द्र नागर, विधायक तेजपाल नागर और कमेटी के एक पदाधिकारी के नाम पर कालिख पोत दी गई। इसका आरोप कुछ गुर्जर नेताओं पर लगाया गया है। जिसको लेकर भाजपा नेताओं ने रोष जताया है। दूसरी ओर अन्य राजनीतिक दल भी इस लड़ाई में कूद पड़े हैं।
बीते दिनों पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा था कि ये इतिहास में पढ़ाया जाता रहा है कि सम्राट मिहिर भोज गुर्जर-प्रतिहार थे पर भाजपाइयों ने उनकी जाति ही बदल दी है। निंदनीय! छलवश भाजपा स्थापित ऐतिहासिक तथ्यों से जान-बूझकर छेड़छाड़ व सामाजिक विघटन करके किसी एक पक्ष को अपनी तरफ़ करती रही है। हम हर समाज के मान-सम्मान के साथ हैं! इसके अलावा भी अन्य नेताओं ने इस मुद्दे पर गुर्जरों का समर्थन किया है। वहीं सरकार ने इस मामले में बिल्कुल चुप्पी साध ली है।