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वहीं, मौजूदा अध्यक्ष रामअचल राजभर को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया। इससे पहले उन्होंने 23 मई को कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस के सरकार गठन से उत्साहित होकर लखनऊ में बैठक बुलाई थी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बसपा कार्यकर्ताओं को कैराना और नूरपुर उपचुनाव में सपा-रालोद गठबंधन के प्रत्याशियों का समर्थन करने का निर्देश दिया था।
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दरअसल शनिवार को मायावती ने पार्टी की रणनीति तैयार करने और संगठन को मजबूत करने के लिए पार्टी के सभी छोटे और बड़े पदाधिकारियों की एक बैठक बुलाई थी। लखनऊ में मायावती के नेतृत्व में हुई राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में राजभर को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव और अरएस कुशवाहा को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया। आरएस कुशवाहा 2016 तक पार्टी से विधान परिषद के सदस्य थे। लखीमपुर खीरी निवासी कुशवाहा अभी तक पार्टी में प्रदेश महासचिव थे।
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इस बैठक में बसपा अध्यक्ष ने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का चार साल का कार्यकाल विफल रहा है। उन्हें अपनी सरकार के चार साल का कार्यकाल पूरा करने पर जश्न मनाने का अधिकार नहीं है। मायावती ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने हर काम को ऐतिहासिक बताते हैं। इसलिए मुझे लगता है कि पेट्रोल-डीजल के मूल्यों में उनकी सरकार में ऐतिहासिक वृद्धि हुई है। उन्होंने आगे कहा कि 4 साल में सरकार ने गरीबों और दलितों का उत्पीड़न किया है। उसके बाद भी सफल होने के दावे करती है। यह सफेद झूठ बोलने वाली सरकार है।
रामअचल राजभर का रानीतिक करियर
बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष से महासचिव बनाए गए रामअचल राजभर का जीवन बहुत ही कठिनाइयों भरा रहा है। रामअचल राजभर का जन्म अम्बेडकरनगर के एक बहुत गरीब परिवार में हुआ था। रामअचल राजभर ने राजनीतिक करियर की शुरुआत अकबरपुर ब्लाक प्रमुख के चुनाव से की थी, उन्हें करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी।
बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष से महासचिव बनाए गए रामअचल राजभर का जीवन बहुत ही कठिनाइयों भरा रहा है। रामअचल राजभर का जन्म अम्बेडकरनगर के एक बहुत गरीब परिवार में हुआ था। रामअचल राजभर ने राजनीतिक करियर की शुरुआत अकबरपुर ब्लाक प्रमुख के चुनाव से की थी, उन्हें करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी।
राजभर को क्षेत्रपंचायत के 135 सदस्यों में से केवल 11 वोट ही उन्हें मिल पाये थे। फिर उन्होंने 1991 में बसपा से विधायक का चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा। लेकिन हार के बावजूद भी बसपा में उनका कद बढ़ने लगा था। उसके बाद 1993 में फिर वह बसपा से विधानसभा चुनाव लड़े और जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे। जिसके बाद उन्होंने 1996, 2002 और 2007 में लगातार जीत दर्ज की। 2007 में बसपा की सरकार बनने के बाद उन्हें परिवहन मंत्री बनाया गया था। 2017 के चुनाव में मोदी लहर के बाद भी वह कटेहरी विधानसभा से विधायक चुने गए।