डॉ. महेश शर्मा ने बताया कि सांस्कृतिक सौहार्द के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए वर्ष 2014, 2015 और 2016 के टैगोर पुरस्कार के लिए मणिपुरी के शास्त्रीय नृत्य गुरु राजकुमार सिंघजीत सिंह, बांग्लादेश के सांस्कृतिक संगठन छायानौत और नोएडा के प्रसिद्ध मूर्तिकार राम वंजी सुतार को चुना गया है।
इस पुरस्कार में सभी को 1-1 करोड़ रुपये की राशि, प्रशस्ति पत्र के साथ ही पारंपरिक हस्तशिल्प उत्पाद प्रदान किए जाएंगे। राम सुतार की पोती सुनाली सुतार ने बताया उन्हें गर्व है कि वह उस परिवार का हिस्सा है, जिसमें देश के वरिष्ठ मूर्तिकार शामिल हैं।
वहीं राम सुतार के बेटे अनिल सुतार ने बताया, खुद पर्यटन मंत्री महेश शर्मा ने घर पर आकर हमें इसकी सूचना दी। गुजरात में नर्मदा नदी के किनारे बन रही मूर्ति 522 फीट ऊंची है और इस मूर्ति के चबूतरे की ऊंचाई 85 फीट है। उन्होंने बताया कि पिताजी का मानना है कि किसी भी बड़ी मूर्ति को बनाने के दौरान उसके छोटे-छोटे अंग बहुत मायने रखते हैं।
ऐसा ही सरदार पटेल की 522 फीट ऊंची मूर्ति बनाने के समय भी हुआ। सरदार पटेल की मूर्ति का चेहरा 70 फीट का है। आंखों की पुतली 1.5 मीटर के डायमीटर की है। कंधे 140 फीट चौड़े हैं और मूर्ति का सेंडल 80 फीट लम्बा है। ये सब वो चीजें हैं जो किसी भी बड़ी मूर्ति में साफ-साफ दिखाई दी जानी चाहिए। जल्द ही पिता जी अब शिवाजी महाराज की 400 फीट ऊंची व आंबेडकर की 250 फीट ऊंची प्रतिमा को भी तैयार करेंगे।
बता दें कि राम सुतार को इससे पहले 1999 में पदमश्री और 2016 में पदम भूषण मिल चुका है। राम वंजी सुतार को देश के कई बड़े सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। संसद भवन में लगी सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति भी इन्हीं की शिल्पकारी है।