यह भी पढ़ें
एम्बुलेंस में गर्भवती की मौत मामले में जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की सिफारिश, सात निजी अस्पतालों को नोटिस जारी जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग की जांच के दौरान पता चला है कि नोएडा में ऐसे 35 लोग हैं, जिन्हें हल्के बुखार, खांसी और ज़ुखाम की शिकायत थी। ये सभी इलाज के लिए अपने-अपने घरों के नजदीक प्राइवेट डॉक्टर्स के पास गए, जहां इन्हें कोरोना का शक बताकर टेस्ट की सलाह दी गई। इन लोगों ने प्राइवेट लैब में कोरोना टेस्ट करवाया। कुछ लोगों के घर जाकर ही सैंपल इक्कठा किए गए। पता चला कि सभी की रिपोर्ट पॉजिटिव है। इसके बाद इन लोगों को सरकार द्वारा तैयार किए गए कोविड आइसोलेशन वार्ड में भेज दिया गया, जहां इनकी दोबारा से जांच की गई। हैरानी की बात ये है कि करीब 35 लोगों की रिपोर्ट कोरोना नेगेटिव आई, जिससे स्वास्थ्य विभाग सकते में आ गया। यह भी पढ़ें
24 घंटे में मिले कोरोना के 38 नए केस, 40 वर्षीय बैंक मैनेजर की मौत सीएमओ डॉ दीपक ओहरी ने बताया कि अब तक कि जाँच में प्राइवेट लैब के कर्मचारी लोगों के घर जाकर गलत तरीके से सैंपल इक्कठा कर रहे थे। उन्होंने सैंपल का टेम्परेचर मेंटेन नहीं किया, जिससे गलत रिपोर्ट आई। ऐसी 6 लैब की जानकारी नोएडा प्रशासन को मिल चुकी है। एक के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज की गई है। अन्य को नोटिस भेजा गया है। नोटिस का जवाब आने के बाद स्वास्थ्य विभाग प्राइवेट लैबों के खिलाफ कार्रवाई करेगा। सीएमओ ने बताया कि अब तक की जांच में ये भी पाया गया है कि इन प्राइवेट लैब ने आईसीएमआर की गाइडलाइन्स का उल्लंघन भी किया है। इनमें से कुछ लैब ऐसी हैं जिनके पास कोविड-19 टेस्ट की परमिशन नहीं थी। उसके बावजूद कमाई के लिए इन लैब ने लोगों के सैंपल इक्कठा कर उन्हें गलत रिपोर्ट देकर उनकी जान जोखिम में डाली है।