नोएडा

अखिलेश यादव के बाद अब मायावती के आदेश पर बसपा के बड़े नेताओं ने यहां डाला डेरा, भाजपा में खलबली

नोएडा सेक्टर-123 में बने डंपिंग ग्राउंड में डाले जा रहे कूड़े में अब वोट बीनने की सियासत शुरू

नोएडाJun 17, 2018 / 09:10 am

lokesh verma

अखिलेश यादव के बाद अब मायावती के आदेश पर बसपा के बड़े नेताओं ने यहां डाला डेरा

नोएडा. सेक्टर-123 में बने डंपिंग ग्राउंड में डाले जा रहे कूड़े में अब वोट बीनने की सियासत शुरू हो गई है। सेक्टर-121 में बीते 42 दिन से चल धरने पर अब सियासी लोगों ने कब्जा जमा लिया है। गैर भाजपा दलों के नेता यह कहते नहीं थक रहे कि यहां कूड़ाघर नहीं बनने देंगे और यदि बन गया तो उसे रहने नहीं देंगे। लेकिन, यह ताकत इन नेताओं को तब मिलेगी, जब उनकी पार्टी सत्ता में आएगी। मसलन, इस कूड़ाघर को हटाने के वादे पर यकीन कर भी लिया जाए तो भी आम जनता को 2022 तक इंतजार करना होगा।
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उल्लेखनीय है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर करीब छह माह पहले सेक्टर-138 में बनाए गए डंपिंग ग्राउंड को हटाया गया। तभी से इस बात की चर्चा थी कि सेक्टर-123 में डंपिंग ग्राउंड बनाया जाएगा। उसी समय से समाजवादी पार्टी के नेता सूबे यादव ने कूड़ाघर संघर्ष समिति बनाई और किसान चौक पर धरने पर बैठ गए। उनके साथ गांवों और सोसाइटियों में रहने वाले लोग भी जुड़ गए। तब स्थानीय सांसद डॉ. महेश शर्मा भी धरना दे रहे लोगों से मिलने गए और उन्हें न्यायोचित कार्रवाई का भरोसा दिया। लेकिन, बाद में स्थानीय सांसद और विधायक ने चुप्पी साध ली और प्राधिकरण ने सेक्टर-123 में डांपिंग ग्राउंड बनाने का काम शुरू कर दिया।
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डंपिंग ग्राउंड का काम शुरू होने के बाद विरोध तेज हुआ और सियासी लोगों के साथ गांववासी, सेक्टरवासी, सोसाइटियों में रहने वाले, सामाजिक और किसान संगठनों के लोगों ने डंपिंग ग्राउंड में बनाए गए गड्ढे को भर दिया। उसके बाद पुलिस ने विरोध करने वालों पर लाठियां बरसार्इं और 26 लोगों को जेल भेज दिया। दिलचस्प है कि जेल भेजे गए लोगों में राजनीतिक लोगों की संख्या नगण्य थी। तब यह माना गया कि आम लोगों को आंदोलन से दूर रखने के लिए प्रशासन ने यह कार्रवाई की है। जेल भेजे गए लोगों को तो एक सप्ताह बाद बिना शर्त रिहा कर दिया गया, लेकिन इस मुद्दे को चुनावी हथियार बनाने की सियासी दलों में होड़ लग गई। इसमें सबसे आगे समाजवादी पार्टी के नेता रहे। धरने में भी उनकी सख्या सबसे अधिक है। हालांकि इस विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी को कभी जीत नसीब नहीं हुई है। सपा के राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय महासचिव सुरेंद्र नागर के अलावा दो पूर्व मंत्री राकेश यादव और अय्यूब अंसारी भी धरने पर बैठे। इन नेताओं ने ताल ठोकी कि यहां डंपिंग ग्राउंड नहीं बनने देंगे। सपा के मुखिया और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी ट्वीट कर इस मसले पर हस्तक्षेप करने की बात कही।
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इस धरने में कांग्रेस और बसपा के नेता भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में पीछे नहीं रहे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रघुराज सिंह तो लगभग रोज धरने पर बैठते हैं और सरकार और प्रशासन के लोगों को खरी-खरी सुनाते हैं। कांग्रेस के स्थानीय संगठन के नेता भी पूरे दलबल के साथ अपनी मौजूदगी दर्ज कराते रहते हैं। कूड़ाघर जैसे सियासी मुद्दे को भुनाने में भी पीछे नहीं है। पार्टी के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी शमसुद्दीन राइन भी धरना स्थल पर पहुंचे और अपने भाषण में कहा कि वह बसपा सुप्रीमो के आदेश पर यहां आए हैं। वह पूरे मसले से बहन जी को अवगत कराएंगे।
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उत्तर प्रदेश में अभी भाजपा की सरकार है और अभी उसका कार्यकाल पूरे चार वर्ष शेष हैं। फिर भी गैर भाजपा दलों के नेता आम लोगों को यह भरोसा देने से पीछे नहीं हट रहे हैं कि वे किसी भी कीमत पर यहां डंपिंग ग्राउंड नहीं बनने देंगे। यदि बन भी गया तो यहां रहने नहीं देंगे। मतलब साफ है कि इन नेताओं के वादों को पूरा होते देखने के लिए अब से चार वर्ष तक आम जनता को इंतजार करना होगा। इतना ही नहीं, यह वादा तब पूरा होगा, जब उनकी पार्टी सत्ता में आएगी। यानि, यदि विरोधियों को सत्ता नहीं मिली तो वादे सियासी ही रह जाएंगे। सीधा कहें तो सेक्टर-123 में बने डंपिंग ग्राउंड में डाले जा रहे कूड़े में सियासी दल के लोग वोट की ही तलाश कर रहे हैं।
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