नोएडा। उत्तर प्रदेश में जब योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी, तब मुख्यमंत्री ने अपनी प्राथमिकताएं गिनाई थीं। उन्होंने पहला ऐलान यही किया कि राज्य में कानून-व्यवस्था बिल्कुल सख्त होगी और इस मुद्दे पर वह किसी तरह का समझौता नहीं करेंगे। अपराधियों को यह नसीहत दी गई कि या तो वे प्रदेश छोड़ दें या फिर जेल चले जाएं। इसके बाद कई अपराधी खुुद थाने पहुंचे और जेल भेजे जाने की गुहार लगाते दिखे। जो खुद से नहीं गए उनमें कई को पुलिस ने अलग-अलग मुठभेड़ में पकडकर जेल पहुंचा दिया।
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देखा जाए तो सरकार के अभियान का काफी हद तक असर भी हुआ। करीब दो वर्ष से राज्य में शांति का माहौल है। प्रदेश में संगठित अपराधियों और माफियाओं का जो प्रभाव था, उनकी जो हरकतें थीं, वह देखने में नहीं आ रही। हां, कुछ छिटपुट अपराध और हिंसात्मक घटनाएं ऐसी जरूर हुईं, जिन्हें पुलिस सतर्क रहती तो रोका जा सकता था। मगर इन्हें माफियाओं या पेशेवर अपराधियों ने अंजाम नहीं दिया। यानी इनमें खुफिया एजेंसियों की विफलता और काफी हद तक लापरवाही पुलिस की दिखी। यह भी पढ़ें
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इससे इतर दो अलग तस्वीरें चर्चा में आईं। यह भ्रष्टाचार और चारित्रिक आरोपों से संबंधित है। दिलचस्प यह भी है कि दोनों ही मामले पुलिस विभाग के बड़े अधिकारियों से जुड़े रहे हैं। हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। यह पहले भी देखने को मिलता रहा है। मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ सरकार की कार्यप्रणाली अब तक ईमानदार और पारदर्शी रही है। ऐसा उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी भी मानते रहे हैं। शायद यही वजह है कि इस सरकार पर सीधे तौर पर किसी तरह के घोटाले या बड़े भ्रष्टाचार के मामले सामने नहीं आए हैं। लेकिन, प्रदेश के कई बड़े पुलिस अधिकारी खुद यह आरोप लगा चुके हैं कि प्रदेश में थाने बेचे जा रहे हैं। पैसे लेकर पोस्टिंग दी जा रही है। हाल के दिनों में गौतमबुुद्ध नगर जिले में एसएसपी रह चुके वैभव कृष्ण भी यह आरोप लगा चुके हैं। हालांकि, उन पर भी कुछ आरोप लगे। इसके बाद मुख्यमंत्री ने मामले की जांच सौंपी। माना जा रहा है कि वैभव कृष्ण पर कार्रवाई इसी का हिस्सा है। साथ ही, लखनऊ और गौतमबुद्ध नगर में कमिश्नर प्रणाली लागू कर दी गई। उम्मीद की जा रही है कि कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद यहां की कानून व्यवस्था तो सुधरेगी ही, थाने बिकने जैसे आरोप भी लगने बंद होंगे। यह बहुत जरूरी है कि भ्रष्टाचार पर काबू पाने की जिम्मेदारी जिसकी है, वह खुद पहले भ्रष्टाचार से मुक्त हो।