ये भी पढ़ें: Happy Vishwakarma Puja- आज है विश्वकर्मा पूजा अपने सहकर्मियों मित्रों, रिश्तेदारों को दें बधाई संदेश गाजियाबाद के ज्योतिष आचार्य कृष्ण कांत मिश्रा बताते हैं कि मान्यता है कि (Pitru Paksha) पिृतपक्ष में यमराज भी जीवों को मुक्त कर देते हैं जिससे के बाद वो पूर्वज अलग-अलग सूक्ष्म रुप धारण कर पृथ्वी पर आते हैं। शास्त्रों में वर्णित हैं कि परिवार में कोई भी बड़ा, बूढ़ा, महिला, लड़की, बच्चे किसी भी उम्र के हो मृत हो चुके हों उन्हें पितर कहा जाता है और श्राद्ध पक्ष में वे पृथ्वी पर अपनों से मिलने आते हैं। पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनको विधि विधान से तर्पण किया जाता है। पितरों के प्रसन्न होने पर घर पर सुख शान्ति आती है।
ये भी पढ़ें: Shardiya Navratri 2018: जानिए कब से है शुरू हो रहा है शारदीय नवरात्र और व्रत करने की तारीख (Pitru Paksha) पिृतपक्ष पितरों को पिंड दान और तर्पण उनकी मृत्यु की तिथि के दिन ही करनी चाहिए जैसे किसी की मृत्यु तृतिया तिथि में हुई हो तो उसके लिए पिृतपक्ष की तृतिया को तर्पण करें। हालाकि जिन्हें अपने पूर्वजों की सही तिथि नहीं पता उनके लिए भी शास्त्रों में वर्णित है। उन पितरों के लिए ( Amavasya Puja ) अमावस्या को तर्पण किया जा सकता है। इसलिये इस अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या Pitra Visarjanभी कहा जाता है।