घाटी को दहलाने की कोशिश- आजादी के बाद से ही कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच जंग की एक मुख्य वजह है। तमाम कोशिशों के बाद भी आजादी के इतने बरस बाद भी ये मुद्दा नहीं सुलझाया जा सका। लेकिन पाकिस्तान की नजर हर पल कश्मीर पर गड़ी रहती है और इसके लिए वो घाटी के अमन चैन को खराब करने के लिए सीमा पार से आतंकियों की फौज भेजता रहता है। यहां तक की घाटी के युवओं के पैसे के दम पर बरगलाने की कोशिश तक करता है। कुछ ऐसा खुलासा किया है बागवत के युवकों ने, जो पत्थरबाजों की कैद से भाग कर वापस आएं हैं और उनकी दास्तान सुनकर आपके भी रौंगटे खड़े हो जाएंगे।
मजबूरी में करते थे जवानों पर पत्थरबाजी- दरअसल काम की तलाश में कश्मीर पहुंचे बागपत और सहारनपुर के युवकों को पहले बंधक बनाया गया और उसके बाद उनसे पत्थरबाजी कराई गई। ऐसा न करने पर उनके साथ मारपीट तक की गई। किसी तक अपने घर पहुंचे इन युवकों ने यह सारी दास्तान सुनाई है। युवकों का कहना है कि वे कश्मीर में सिलाई की एक फैक्टरी में काम के लिए गये थे। लेकिन वहां पहुंचते ही उनको बंधक बना लिया गया। इसके बाद उन्हें सेना के जवानों पर पत्थरबाजी करने को मजबूर किया गया।
पत्थरबाजी नहीं करने करने पर मारपीट की गई बडौत नगर के गुराना रोड पर रहने वाले मा. नसीम का कहना है कि फरवरी में वह अपने दोस्तों के साथ पुलवामा के लस्तीपुरा में गए थे। जहां वह सभी डिवाइस इडस्ट्रीरियल फर्म में सिलाई की नौकरी करने लगे। फैक्टरी में कश्मीर के युवक भी काम करते थे। कुछ दिन बाद फैक्टरी मालिक ने उन पर दबाव बनाया कि कश्मीर में जब भी सेना के जवान किसी आतंकवादी का एनकांउटर करें तो उन पर पत्थरबाजी करनी है। सेना के जवान किसी आतंकवादी का एनकांउटर करते थे तो आतंकवादी गांव में घुस जाते थे और किसी भी मकान में छुपकर ग्रामीणों की मदद से सेना पर पत्थरबाजी कराते थे। इस दौरान उनसे भी पत्थरबाजी कराई जाती थी। ऐसा न करने पर उनके साथ मार-पिटाई होती थी।
पैसे देकर भी कराई जाती है- पीड़ित युवक नसीम ने बताया कि अपने जवानों के ऊपर पर पत्थरबाजी करने वाले लोगों को देखकर उनका खून खोलता था, लेकिन उसके साथ उसकी पत्नि और बच्चे भी थे, जिनको लेकर वह मजबूर थे। एक व्यक्ति को दस हजार रूपये देकर वह किसी तरह उनके चंगुल से निकल पाने में कामयाब रहे। वहीं अब मामले की जानकारी होने पर पुलिस युवकों से पूछताछ के लिए ले गई है।