यह भी पढ़ें
दारोगा को परिवार संग ज़िंदा जलाने की कोशिश, कार और स्कूटी में पेट्रोल छिड़ककर लगाई आग
मिला आश्वासन पर नहीं मिली मदद एक बार जब उनका कराटे में शिखर तक पहुंचने का सपना टूटा गया तो उन्होंने लक्ष्य को साधने के लिए उसने धनुष उठा लिया। इसके बाद उन्होंने तीरंदाजी सिख पैरा खिलाड़ी के तौर पर खेल के मैदान में उतरी हैं। लेकिन अफसोस केवल इस बात का है कि उसके इस उत्साह को प्रोत्साहित करने की वाले सिस्टम ने हार मान ली। लोरी कुमारी के पिता ने बताया कि उनकी बेटे की साथ 22 मई 2019 को सड़क हादसा हुआ जिसमें उन्होंने अपने पैर गंवा दिए। पिता ने बताया कि इसके बाद जिला प्रशासन की तरफ से तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट शैलेंद्र कुमार मिश्र और तत्कालीन जिला दिव्यांग अधिकारी पारेश मिश्रा ने बेटी का उपचार कराने, आर्थिक मदद और नौकरी दिलाने का आश्वासन दिया था।
अब तक हो चुका है लाखों खर्च इस मदद का भरोसा भी उन्हें तब दिया गया जब उन्होंने स्थानीय लोगों के साथ धरना दिया था। आश्वासन तो मिल गया लेकिन ढाई साल बाद भी प्रशासन की तरफ से लोरी कुमारी को मदद नहीं मिली। पिता ने बताया कि एक एनजीओ की मदद से बेटी का कृत्रिम पैर लगाया गया। हालांकि, शरीर का वजन बढ़ने और समय के साथ उसका लगातार मेंटीनेंस करना पड़ता है। पिता ने जानकारी दी कि सामाजिक संस्थाओं की मदद तो मिली इसके बावजूद भी बेटी के इलाज में उनका 14 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं।
अब उनका परिवार तंगी में जीने को मजबूर हो गया है। वह चाऊमीन का ठेला लगाते हैं। कोरोना महामारी ने काम को पूरी तरह प्रभावित किया। इससे समस्या और अधिक बढ़ गई। अब वह अधिकारियों के चक्कर लगा रहे है लेकिन कहीं से मदद नही मिल रही।
जिलाधिकारी से है बड़ी उम्मीद लोरी के पिता ब्रह्माशंकर ने बताया कि मौजूदा डीएम, जो कि खुद देश के पैरा खिलाड़ी हैं, से उनको बड़ी आस है। उनका देश-दुनिया में नाम है। वह जरूर हमारी बेटी के दर्द को समझेंगे। ऐसे में उनको उम्मीद है कि वह जरूर तत्कालीन जिला प्रशासन के आश्वासन को पूरा करेंगे।
डीटीसी बस ने मारी थी टक्कर लोरी के साथ हुई घटना के बारे में पिता ने बताया कि 22 मई 2019 को जब वह कराटे सिखाकर लौट रही थी तभी पीछे से आ रही डीटीसी बस ने टक्कर मार दी। इस दुर्घटना में उनका पैर बुरी तरह कुचल गया था। इंफेक्शन के चलते उनका पैर काटना पड़ा। हादसे के बाद बस चालक गाड़ी छोड़ कर भाग गया था।
वहीं, इस बाबत नोएडा के जिलाधिकारी सुहास एलवाइ का कहना है कि प्रकरण संज्ञान में नहीं था। खेल और दिव्यांग विभाग की ओर से मामले की जानकारी करने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।