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नाेएडा निवासी रंजन अग्रवाल कोरोना संक्रमित हो गए। संक्रमण के चलते रंजन का ऑक्सीजन लेवल लगातार गिर रहा था, लेकिन जीवनदायिनी ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं हो रही थी। डॉक्टरों ने भी जवाब दे दिया था कि अगर रंजन की जान बचानी है तो आपको ऑक्सीजन का इंतजाम करना होगा। परिजनों की लाख कोशिशों के बाद भी ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं हो सकी। इसी बीच बोकारो निवासी शिक्षक देवेंद्र को पता चला कि उनकेे दोस्त रंजन की जान खतरे में है। अगर समय पर ऑक्सीजन नहीं मिली तो कुछ भी हो सकता है।
तुरंत किया ऑक्सीजन सिलेंडर का इंंतजाम इसके बाद देवेंद्र ने दोस्त की जान बचानेे के लिए बोकारो में कई
ऑक्सीजन प्लांट से संपर्क साधा, लेकिन बगैर खाली सिलेंडर कोई ऑक्सीजन देने काे तैयार नहीं हुआ। इसके बावजूद देवेंद्र ने हिम्मत नहींं हारी और एक अन्य मित्र की सहायता से बियाडा स्थित झारखंड इस्पात ऑक्सीजन प्लांट संचालक से बात की। जब देवेंद्र ने अपनी परेशानी बताई तो ऑक्सीजन सिलेंडर की सिक्योरिटी मनी डिपोजिट करने की शर्त पर संंचालक तैयार हो गया। देवेंद्र ने जंबो सिलेंडर की सिक्याेरिटी मनी के रूप में 9600 रुपए और ऑक्सीजन के लिए 400 रुपए का भुुगतान किया।
जब ऐसा दोस्त हो तो कोरोना क्या बिगाड़ेगा जब देवेंद्र ने ऑक्सीजन के साथ प्लांट से सिलेंडर ले लिया तो अब समस्या यह थी कि उसे नोएडा तक कैसे पहुंचाया जाए? देवेंद्र को जब कुछ रास्ता नजर नहीं आया तो वह रविवार सुबह अपनी कार में सिलेंडर रख नोएडा के लिए निकल पड़े और 24 घंटे में 1300 किलोमीटर की दूरी तय कर सोमवार सुबह नोएडा पहुंच गए। जब देवेंद्र सिलेंडर लेकर दिल्ली अपने दोस्त रंजन के पास पहुंचे तो रंजन अपने आंसू नहीं रोक सके। इस दौरान रंजन ने कहा कि जब मेरा दोस्त मेरे साथ है तो
कोरोना मेरा क्या बिगाड़ेगा।