प्राइवेट बसों में ले जा रहे थे लोगों को पुलिस की गिरफ्त में आए युवकों के नाम वकील खान और राशिद हैं। ये उन बसों के ड्राइवर हैं, जिस पर बिहार सरकार द्वारा दिल्ली और गौतम बुद्ध नगर से बिहार फ्री मजदूरों की सेवा के बैनर लगे थे। इन बसों में कुछ लोग चढ़ रहे थे और कुछ नीचे खड़े थे। दोनों बसों की खिड़कियों पर खड़े व्यक्ति आवाज लगा रहे थे, बिहार के लिये फ्री सेवा है, जल्दी बैठो। डीसीपी नोएडा सेंट्रल हरीश चंद्र का कहना है कि थाना फेज-2 पुलिस को भंगेल-दादरी मेन रोड पर दो प्राइवेट बसें खड़ी दिखायी दी थीं। बस में बैठी सवारियों से जानकारी करने पर पता चला कि बस वाले प्रत्येक व्यक्ति से 3 हजार रुपये किराया वसूल रहे हैं।
एक आरोपी भागा इस जानकारी के बाद आवाज लगा रहे दोनों बसों के ड्राइवर वकील खान और राशिद से बसों को ले जाने की अनुमति दिखाने को कहा गया। इस पर एक आरोपी ने अपने मोबाइल में सिवान के जिलाधिकारी द्वारा जारी पास की कॉपी दिखाई। इसकी मूल प्रति दिखाने को कहने पर वह बस के अंदर गया और चुपके से भाग गया। वह अपना मोबाइल फोन भी छोड़ गया। उसका नाम मोनू बताया जा रहा है।
गाजियाबाद व मेरठ के हैं आरोपी डीसीपी ने बताया की शुरुआती जांच में पता चला है कि दोनों ड्राइवर ही बस मालिक थे। मोबाइल फोन के डिस्पले पर दिखाये गए पास के सम्बन्ध में जानकारी करने पर पता चला कि सिवान के जिलाधिकारी ने ऐसा कोई वाहन पास जारी नहीं किया है। डीसीपी ने बताया कि दोनों आरोपियों गाजियाबाद निवासी वकील खान और मेरठ निवासी राशिद को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। एक आरोपी मोनू की तलाश की जा रही है।