सालों से मुख्यमंत्री के नोएडा आने के बाद सरकार चले जाने के जिस मिथ को सीएम अखिलेश यादव नहीं तोड़ पाये थे। उसे सीएम आदित्यनाथ योगी ने अपनी सरकार बनने के कुछ दिन बाद ही नोएडा में दौरा कर तोड़ तो दिया, लेकिन अब उपचुनाव में योगी को अपने गढ़ में मिली हार के बाद से यह मिथ एक बार फिर चर्चा में आ गया है। आम से लेकर राजनीति से जुड़े लोग इस मिथ को ही उपचुनाव में बीजेपी की हार की वजह मान रहे है।
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इस अंधविश्वास के चलते सालों से नोएडा आने से दूरी मनाते आए है सीएम
उत्तरप्रदेश के सीएम होने के दौरान नोएडा में मुख्यमंत्री के आने पर उनकी सरकार गिर जाती है।इस मिथ की वजह से उत्तरप्रदेश में अपनी सरकार होते हुए, भी अखिलेश यादव से लेकर कर्इ मुख्यमंत्री ने यूपी के शो विंडो नोएडा से आने से दूरी बनाये रखी। उधर सीएम योगी आदित्यनाथ ने यूपी में अपनी सरकार बनते ही नोएडा का दौरा कर यह मिथ तोड़ तो दिया, लेकिन अब उपचुनाव में उन्हें गढ़ में मिली हार से तरह तरह के कयास लगाये जा रहे है। आम से लेकर राजनीति से जुड़े लाेग भी इस हार को नोएडा दौरे को लेकर बने मिथ से जोड़ कर देख रहे है।
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सालों से चला आ रहा है ये अंधविश्वास
यूपी के शो विडो नोएडा में सीएम के आने पर कुर्सी जाने आैर पार्टी की हार का ये मिथक नया नहीं है। ये सालों से चला आ रहा है। यहां आने वाले सीएम अपनी कुर्सी तक खो भी चुके है। यहीं कारण है कि 2006 में नोएडा में हुए निठारी कांड की गुज देश भर गुजी थी। इसके बावजूद भी उस समय सीएम रहे मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने नोएडा का दौरा तक नहीं किया था। ये ही नहीं यूपी में सीएम रह चुके राजनाथ सिंह भी अपने कार्यकाल में नोएडा में आने से बचते रहे। यहीं कारण है कि उन्होंने डीएनडी का उद्दघाटन नोएडा की जगह दिल्ली से ही कर दिया था। विदेश में इंजीनियरिंग कर राजनीति में आकर यूपी के सीएम रह चुके अखिलेश यादव भी इस मिथक के चलते कर्इ वादों के बाद भी नोएडा नहीं आये।
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यूपी के यह मुख्यमंत्री हो चुके है इस इस मिथक के शिकार
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह ने नोएडा का दौरा किया था। इसके बाद ही उनके हाथ से सत्ता निकल गई थी । 1989 में नारायण दत्त तिवारी सीएम रहते हुए नोएडा के विकास कार्यों का जायजा लेने आये थे। जिसके कुछ दिन बाद ही उन्हें अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी खोनी पड़ी। 1999 में कल्याण सिंह ने वेस्टर्न यूपी में सभाओं के दौरान नोएडा में भी जमकर चुनाव प्रचार किया था। जिसके बाद 12 नवंबर 1999 में मायावती ने उनकी कुर्सी छीन ली थी। गौतमबुद्घनगर जिले की बेटी मायावती ने 1997 में अपने गृहजनपद के नोएडा शहर का दौरा किया था। इसके बाद सत्ता ने उनकी ओर से कुछ वक्त के लिए मुंह मोड़ लिया। इसके बाद से तो यूपी के सभी मुख्यमंत्री में नोएडा को लेकर अंधविश्वास फैल गया। बसपा की पिछली सरकार में मुखिया रहीं मायावती इस अंधविश्वास को मिटाने की कोशिश करने के लिए साल 2011 में फिर से नोएडा गई। लेकिन इस बार भी विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
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ये माना जाता है दौरे के बाद सीएम की कुर्सी जाने का कारण
यहां पुराने लोग आैर इतिहास की माने तो नोएडा में आने वाले बिसरख गांव में रावण का जन्म हुआ था। इसी गांव में रावण को भगवान शिव ने बुद्धिमान और पराक्रमी होने का वरदान भी दिया था। गांव वालों आैर पंडितों का दावा है कि इस पूरे क्षेत्र में लगातार तांत्रिकों का वर्चस्व रहा।तंत्र-मंत्र के चलते यह भूमि अभिशप्त है।इसलिए यहां जब भी कोई मुख्यमंत्री आता है, तो उसकी कुर्सी चली जाती है।