नोएडा

योगी ने सारे मिथक तोड़कर यहां रखा था कदम, क्या अब वही बना भाजपा की 4 चुनावी पराजय का कारण

इसके बाद से ही प्रदेश में हुए गोरखुपर, फूलपुर चुनाव के बाद अब भाजपा को नूरपुर और कैराना उपचुनाव में भी हार का सामना करना पड़ा।

नोएडाJun 01, 2018 / 05:44 pm

Rahul Chauhan

कैराना उपचुनाव में इस किसान की वजह से भाजपा पर आ सकती है मुसीबत

राहुल चौहान@पत्रिका
नोएडा। यूं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा की लहर में पार्टी ने लगातार बंपर जीत दर्ज की। लेकिन इस बीच अब पिछले कुछ समय से भाजपा उत्तर प्रदेश में हार ही ओर है। जिसके पीछे अब कई तरह की बातें भी कही जाने लगी है। कोई कहता है कि भाजपा सरकार काम नहीं कर रही तो वहीं आम लोगों से लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नोएडा आकर मिथक तोड़ने के बाद से ही भाजपा हार की ओर है।
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दरअसल, योगी आदित्यनाथ पिछले साल दिसंबर में मिथक तोड़ने के लिए नोएडा आए थे। वहीं कहा जाता है कि जो भी यूपी का मुख्यमंत्री कुर्सी पर रहते हुए नोएडा का दौरा करता है उसकी कुर्सी चली जाती है। लेकिन इस मिथक को तोड़ते हुए सीएम योगी ने बहादुरी दिखाई। लेकिन इसके बाद से ही प्रदेश में हुए गोरखुपर, फूलपुर चुनाव के बाद अब भाजपा को नूरपुर और कैराना उपचुनाव में भी हार का सामना करना पड़ा है। जिसके बाद लोगों का कहना है कि यह नोएडा आने का असर है जो अब भाजपा को हार का सामना करना पड़ रहा है।
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नोएडा में नहीं आए तत्कालीन सीएम

मिथक बनने के बाद कई साल तक सरकार में होते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने नोएडा का दौरा नहीं किया। फिर बात बसपा प्रमुख मायावती की हो या सपा के मुलायम सिंह यादव और अखिलश यादव की। ये तीनों ही मिथक के चलते कुर्सी पर रहते हुए नोएडा नहीं आए। इतना ही नहीं, इस दौरान बसपा व सपा सरकार में कई योजनाओं का शिलन्यास भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही कर दिया गया। वहीं जब राजनाथ सिंह भी यूपी के सीएम बने तो वह भी लगातार नोएडा आने से बचते रहे।
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ये मुख्यमंत्री हो चुके इस मिथक का शिकार

बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह ने नोएडा का दौरा किया था और कुछ दिन बाद ही उनके हाथों से सत्ता फिसल गई। इसके बाद 1989 में नारायण दत्त तिवारी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। 1989 में वे नोएडा के विकास कार्यों का जायजा लेने के लिए आये थे। उसके बाद उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी खोनी पड़ी।
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1999 में कल्याण सिंह ने वेस्टर्न यूपी में चुनावी सभाओं के दौरान नोएडा में भी जमकर चुनाव प्रचार किया था और 12 नवंबर 1999 में मायावती ने उनकी कुर्सी छीन ली। गौतमबुद्ध नगर जिले की ही रहने वाली बसपा प्रमुख मायावती ने 1997 में अपने गृहजनपद के नोएडा शहर का दौरा किया था। इसके बाद सत्ता ने उनकी ओर से कुछ वक्त के लिए मुंह मोड़ लिया। इन सभी की नोएडा दौरे के बाद कुर्सी जाने के बाद से ही यह मिथक फैल गया। वहीं बसपा की पिछली सरकार में मायावती इस अंधविश्वास को मिटाने की कोशिश करने के लिए साल 2011 में फिर से नोएडा आईं। इस बार भी विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
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ये माना जा रहा कुर्सी जाने का कारण

पुराने लोगों की मानें तो नोएडा के बिसरख गांव में रावण का जन्म हुआ था। इस गांव में रावण को भगवान शिव ने बुद्धिमान और पराक्रमी होने का वरदान दिया था। गांववालों और पंडितों का भी दावा है कि इस पूरे क्षेत्र में लगातार तांत्रिकों का वर्चस्व रहा था और तंत्र-मंत्र के चलते यह भूमि अभिशप्त है। यही कारण है कि जब भी कोई मुख्यमंत्री नोएडा आता है, उसकी कुर्सी चली जाती है।

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