यह भी पढ़ें
धन और शोहरत पाने के लिए यह शख्स मुस्लिम से बना था हिंदू धर्मगुरु गाजियाबाद के नंदग्राम निवासी अरविंद कुमार शर्मा एक निजी कंपनी में जॉब करते है। ये 9 सितंबर को बुलंदशहर से गाजियाबाद लौट रहे थे। जब ये लालकुआं के पास पहुंचे। उसी दौरान तेज रफ्तार में एक डंपर ने उनकी बाइक में टक्कर मार दी। उन्हें उपचार के लिए परिजनों ने सेक्टर—62 स्थित फोर्टिस अस्पताल में एडमिट कराया गया था। फोर्टिस अस्पताल की तरफ से 2 दिन पहले अरविंद के परिजनों से उपचार के लिए रुपये डिमांड की गई थी। परिजनों की माने तो पहलेे भी रुपये जमा कराए थे। उसके बाद में डॉक्टरों की तरफ से दौबारा पैसों की मांग की गई थी। लिहाजा उन्होंने इलाज के पैसे जमा कराने के लिए एक दिन का समय मांगा था। आरोप है कि अस्पताल के डॉक्टरों ने इलाज रोक दिया। अस्पताल की तरफ से 1 लाख 26 हजार रुपये का बिल अरविंद के परिजनों को बकाया बताया गया। आरोप है कि पैसे न देने की वजह से शव देने से भी इनकार कर दिया था।
अरविंद के भांजे आकाश शर्मा ने बताया कि 22 यूनिट खून अस्पताल ने लिया था। साथ ही 6 लाख 40 हजार रुपये अस्पताल में जमा कराए थे। उन्होंने आरोप लगाए है कि दो दिन पहले ही अरविंद की मौत हो गई थी। डॉक्टरों ने अपनी सवेंदना खो दी और पैसे वसूलने के चक्कर में अस्पताल प्रबंधन सुधार की बात करता रहा। परिजनों ने बताया कि जिनके पास जो भी पैसे थे, वो जमा करा दिए थे। बचे हुए रुपयों का इंतजाम करने में लगे हुए थे। परिजनों ने बताया कि रविवार को बिल जमा कराने के लिए कहा गया था। परिजनों ने आरोप लगाए है कि बिल जमा न होने की वजह से डॉक्टरों ने दवाई रोक दी थी। दवाई न मिलने की वजह से मरीज की मौत हो गइ्र। वहीं फोर्टिस अस्पताल के प्रवक्ता जॉयश्री सैकिया ने सभी आरोपी को गलत बताया है। उन्होंने बताया कि जिसमें हममने नियमों के तहत शव को पुलिस को सौंप दिया। सरकार की तरफ से जारी मानकों और नियमों को पूरी तरह पालन किया जाता है। मरीज का उपचार अस्पताल की प्राथमिकता है।