ये अधिकार मिलेंगे कमिश्नर को जानकारों का कहना है कि कमिश्नर सिस्टम से आम आदमी को फायदा होगा। नई व्यवस्था के तहत गौतम बुद्ध नगर के कमिश्नर के पास मजिस्ट्रेट के 15 अधिकार होंगे। पुलिस कार्रवाई के लिए लोगों को प्रशासनिक अधिकारियों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। गौतम बुद्ध नगर के कमिश्नर बनाए गए आलोक सिंह की गिनती प्रदेश के तेजतर्रार अधिकारियों में होती है। 9 नवंबर 2010 को वह डीआईजी बने थे। 17 जनवरी 2014 को आईजी और फिर 12 दिन पहले एक जनवरी को एडीजी बने। अब वह गौतम बुद्ध नगर के कमिश्नर बनाए गए हैं। आलोक सिंह के पास कमिश्नर के तौर पर धारा 144 या कर्फ्यू लगाना, पाबंदी की कार्रवाई, धारा 151, गैंगस्टर, जिला बदर आदि की कार्रवाई के अधिकार होंगे। अभी तक यह अधिकार जिलाधिकारी के पास थे। इसके अलावा पुलिस कमिश्नर स्वयं तय करेंगे कि वह अपने किस अधिकारी को क्या जिम्मेदारी सौपेंगे। बतौर कमिश्नर आलोक सिंह के सामने सबसे बड़ी चुनौती गौरव चंदेल हत्याकांड का खुलासा करना है।
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इनको मिली तैनाती कमिश्नर आलोक सिंह के अंडर में दो एडिशनल कमिश्नर, सात डिप्टी कमिश्नर, नौ एडिशनल डिप्टी कमिश्नर, 17 असिस्टेंट कमिश्नर, एक असिस्टेंट रेडियो ऑफिसर और एक चीफ फायर ऑफिसर तैनात किए गए हैं। गौतम बुद्ध नगर में एडिशनल कमिश्नर (क्राइम एंड हेड क्वार्टर) श्रीपर्णा गांगुली को बनाया गया है। वह अभी तक लखनऊ में बतौर पुलिस उप महानिरीक्षक (कारागार, प्रशासन एवं सुधार) के पद पर तैनात थीं। श्रीपर्णा गांगुली जिले में एसपी देहात रह चुकी हैं। अखिलेश कुमार एडिशनल कमिश्नर (लॉ एंड ऑर्डर) बनाए गए हैं। वह अभी तक लखनऊ पीएसी मुख्यालय में बतौर पुलिस उप महानिरीक्षक के पद पर तैनात थे। इनको बनाया गया डीसीपी मेरठ में पीएसी कमांडेंट के रूप में तैनात नितिन तिवारी को नोएडा का डीसीपी बनाया गया है। दूसरा डीसीपी हरिश्चंद्र को बनाया गया है, जो अभी तक लखनऊ में विशेष जांच प्रकोष्ठ के पुलिस अधीक्षक थे। वृन्दा शुक्ला को भी डीसीपी बनाकर भेजा गया है। लखनऊ में एसपी सिक्योरिटीज शंकर शर्मा को भी डीसीपी बनाया गया है। डॉ. मीनाक्षी कात्यान, राजेश एस और राजेश कुमार सिंह को भी डीसीपी की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
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