बता दें कि सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में ठाकुर और दलितों के बीच 2017 में हुई हिंसा के बाद चंद्रशेखर का नाम उभरकर सामने आया था। चंद्रशेखर पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ और वह जेल गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2 नवंबर 2017 को चंद्रशेखर जमानत दी थी। उनपर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाकर गिरफ्तार किया गया था। उसके बाद चंद्रशेखर लगातार राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय रहे। यहां तक की सीएए को लेकर भी चंद्रशेखर ने केंद्र सरकार के विरोध में दिल्ली में भी प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान चंद्रशेखर को जेल भेजा गया था।
चंद्रशेखर ने राजनीतिक पार्टी के गठन की घोषणा के लिए दिल्ली को चुना था। लेकिन कोरोना वायरस के चलते उन्हें दिल्ली में कार्यक्रम की अनुमति नहीं मिली। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग एकजुट होने थे। दिल्ली में कार्यक्रम की अनुमति नहीं मिलने पर कार्यकर्ताओं ने नोएडा को चुना था। भीम आर्मी के मेरठ जिलाध्यक्ष विकास हरित ने बताया कि पार्टी की घोषणा का कार्यक्रम दिल्ली के बाद नोएडा में होना था। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में दूसरी पार्टी के नेता भी शामिल होने है।
कार्यक्रम स्थल पर प्रशासन ने ताला गला ताला जड़कर एक नोटिस चस्पा कर दिया है। नोटिस में लिखा गया है कि कोरोना वायरस के चलते पब्लिक मीटिंग या किसी तरीके का कोई कार्यक्रम नहीं कर सकते है। बड़ी संख्या में भीम आर्मी के समर्थक और कार्यकर्ता कार्यक्रम स्थल के बाहर पहुंचे हुए हैं। डीएम बीएन सिंह का कहना है कि कोरोना वायरस के चलते अहियात के तौर पर कार्यक्रम के आयोजन पर रोक लगाई गई है। उन्होंने कहा कि भीड़ के स्थान पर कोरोना होने की संभावना होती है।