जेपी हॉस्पिटल के मैनेजर ऑन ड्यूटी ने बताया कि हुकुम सिंह की मृत्यु शाम सात बजे हो गई। जिसके बाद अब उनकी बॉडी को परीजन यहां से ले गए हैं। वह 21 जनवरी से यहां भर्ती थे और उन्हें सांस लेने में परेशानी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर हुकुम सिंह के निधन पर शोक प्रकट किया है।
बता दें कि हुकुम सिंह मुजफ्फरनगर जिले के कैराना में ही रहते थे और उनका जन्म 5 अप्रैल 1938 को हुआ था। वह भारत की 16वीं लोकसभा के सांसद थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में वह यूपी की कैराना सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर निर्वाचित हुए। उन्होंने ही कैराना समेत पश्चिम यूपी से हिंदुओं के पलायन का मामला उठाया था।
चीन के साथ युद्ध में वकालत छोड़ सेना में जुड़े हुकुम सिंह बचपन से पढ़ाई में काफी होशियार थे और वह कैराना में इंटर की पढ़ाई करने के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय चले गए। जहां से उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई की। यहां उन्होंने बीए-एलएलबी की पढ़ाई की और वकालत में ही प्रैक्टिस करने लगे। इसके बाद उन्होंने जज बनने की भी परीक्षा पास की थी। लेकिन इसी दौरान चीन ने भारत पर हमला कर दिया। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने युवाओं से सेना में भर्ती होने के आह्वान किया। जिसपर हुकुम सिंह ने सेना में चले गए। इसके बाद 1963 में वह भारतीय सेना में अधिकारी हो गए।
पाकिस्तान के साथ युद्ध में भी लिया हिस्सा 1965 में हुकुम सिंह ने सैन्य अधिकारी के तौर पर पाकिस्तान के हमले के समय भी अपनी टुकड़ी के साथ पाकिस्तानी सेना का सामना किया। उस दौरान कैप्टन हुकुम सिंह राजौरी के पूंछ सेक्टर में तैनात थे। हालांकि 1969 में देश में स्थिति सामान्य होने पर उन्होंने सेना से इस्तीफा देकर फिर वकालत शुरु कर दी थी।
1974 में राजनीति से जुड़े वकालत से जुड़ने के बाद हुकुम सिंह 1974 में राजनीति में सक्रिय हो गए वह पहली बार विधायक बने। सात बार विधायक रहे हुकुम सिंह यूपी सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। वहीं वर्तमान में वह कैराना से सांसद थे।