रात में बिगड़ी बच्चे की हालत एक पिता को सबसे ज्यादा खुशी उस समय मिलती है जब वह अपने बच्चे को गोद में लेता है। ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) के सेक्टर-36 (Sector-36) में रहने वाले राजकुमार एक ऐसे बदनसीब है, जिनकी गोद में ही उनके नवजात ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया और वे कुछ भी नहीं कर सके। राजकुमार बताते हैं कि वह एक निजी फैक्ट्री में नौकरी करते हैं। कृष्णा लाइफ लाइन अस्पताल में उनकी पत्नी रेखा ने एक बच्चे को जन्म दिया। रात करीब 10 बजे बच्चे की हालत बिगड़ी तो अस्पताल प्रबंधन ने वेंटिलेटर की सुविधा न होने की बात कहकर बच्चे को डिस्चार्ज कर दिया।
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दादरी में नहीं मिले डॉक्टर नवजात को ग्रीन सिटी अस्पताल रेफर कर दिया गया। अस्पताल ने मोटा खर्चा बताया तो राजकुमार उसे सरकारी अस्पताल ले आए। 11 बजे एंबुलेंस (Ambulence) को फोन किया तो वह ढाई घंटे बाद डेढ़ बजे आई। एंबुलेंस से नवजात को दादरी (Dadri) सरकारी अस्पताल ले जाया गया। हैरत की बात यह है कि वहां बच्चों के डॉक्टर नहीं थे। जो मौजूद थे, वे सो रहे थे। यही हाल बादलपुर (Badalpur) स्वास्थ केंद्र में हुआ। अस्पतालों ने नहीं दिया जवाब पूरी रात यूं ही गुजर गई और एक पिता अपने बच्चे की जान बचाने के लिए अस्पतालों की चौखट पर ठोकर खाता रहा। सुबह करीब पांच बजे जब एंबुलेंस नवजात को लेकर नोएडा (Noida) के सरकारी अस्पताल पहुंची, तब तक बच्चे की मौत हो चुकी थी। इस संबंध में जब कृष्णा लाइफ लाइन व ग्रीन सिटी अस्पताल से उनका पक्ष जानने के लिए फोन पर संपर्क किया गया तो दोनों अस्पताल प्रबंधन ने बात नहीं की।
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