दरअसल, नेपाल का रहने वाला 14 वर्षीय कृष्णा उर्फ रवि अपने रिश्ते में चाचा लगने वाले टीकाराम के साथ रोजगार की तलाश में दिल्ली आया था। मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने पर वह रास्ता भूल गया और भटकते हुए ग्रेटर नोएडा के कोट गांव पहुंच गया। जहां उसकी तबीयत खराब होने की वजह से बेहोश होकर खेत में गिर पड़ा। ये खेत संजय का था, जिसने उसे अस्पताल में भर्ती कर इलाज कराया। इसके बाद कृष्णा उसके साथ ही रहने लगा। इस बीच कृष्णा के परिवार वालों ने उसकी तलाश शुरू की और जब वह नहीं मिला तो उसके अपहरण का मुकदमा दर्ज करा दिया। इसके बाद पुलिस चाचा टीकाराम को रवि को गायब करने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
यह भी पढ़ें – अब एक क्लिक पर मिलेगी अपराधियों की पूरी कुंडली, जानें क्या है सरकार को ये स्पेशल प्लान ढाई साल बाद मिला बागपत में कोट गांव के रहने वाले संजय और उसके परिवार ने कृष्णा उर्फ रवि को अपने घर में न केवल वर्षों तक रखा, बल्कि उसे वे हर सुविधा उपलब्ध कराई जो परिवार के सदस्य को दी जाती है। इस बीच एक दिन रवि को कुछ लोग अपनी बातों में फंसाकर बागपत ले गए। संजय और उसके परिजनों ने दादरी कोतवाली में रवि की गुमशुदगी दर्ज कराई और लगभग ढाई वर्ष के बाद रवि को बागपत से ढूंढ निकाला और एक बार फिर रवि संजय और उसके परिवार के बीच आ गया।
किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था लेकिन, यहां भी किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। बागपत के रहने वाले लोगों ने कृष्णा उर्फ रवि की जानकारी नेपाल एम्बेसी को देते हुए कहा कि रवि को जबरन कोट गांव में कैद करके रखा गया है जिस पर नेपाल एंबेसी ने जांच कराई और फिर इसकी जानकारी रवि के परिजनों को दी। जब नेपाल पुलिस उसे लेने आई तो रवि ने नेपाल जाने से इनकार कर दिया।
यह भी पढ़ें – मरीजों को दाल-रोटी तो सरकारी डॉक्टर रौब से खा रहे बैंगन भर्ता, खीर-पूरी और लजीज व्यंजन फिल्म की कहानी की तरह हैप्पी एंडिंग इसके बाद अपने बेटे रवि को देखने के लिए बेचैन रवि की मां लक्ष्मी अपने आपको रोक न सकी और दादरी चली आई। मां को देख कृष्ण उर्फ रवि पूरी तरह से टूट गया और उससे लिपट कर रोने लगा। रवि को लगभग 22 वर्षों तक पालने वाली महिला और उसका बेटा संजय भी अपने आप को रोक नहीं पाए और रवि से बिछड़ने के गम में रोने लगे। पुलिस अधिकारियों ने कृष्णा उर्फ रवि को नेपाल से आए उसके परिजनों के साथ नेपाल रवाना कर दिया। वहीं रवि के परिजनों ने लगभग 22 वर्षों तक रवि को अपने घर में शरण देने वाले लोगों को आभार प्रकट करते हुए उनका धन्यवाद किया। इस तरह बालीवुड के किसी फिल्म की तरह इस कहानी की हैप्पी एंडिंग हो गई।