नोएडा

फिल्मों जैसी रोचक है नेपाल के कृष्णा की दास्तां, एक मां ने जन्म दिया तो दूसरी ने 27 साल तक पाला

नेपाल से 27 साल पहले चाचा के साथ काम की तलाश में दिल्ली आया था कृष्णा उर्फ रवि रास्ता भटककर ग्रेटर नोएडा के कोट गांव पहुंच गया। जहां के रहने संजय ने उसे परिवार के सदस्य की तरह रखा। जैसे ही इसकी जानकारी परिजनों को मिली तो वह उसे लेने पहुंचे, लेकिन ने जाने से साफ इनकार कर दिया।

नोएडाJun 04, 2022 / 03:15 pm

lokesh verma

मिलने बिछड़ने की इस कहानी की स्क्रिप्ट किसी फिल्म के राइटर ने नहीं, बल्कि खुद ऊपर वाले ने लिखी थी। एक युवक नेपाल से रोजगार की तलाश में आया था। 27 साल बाद अपने परिवार से मिलने की खुशी से ज्यादा उसे पालने वाले परिवार से बिछड़ने का गम था। इस कारण उसने नेपाल जाने से इनकार कर दिया। इस बीच उसकी मां खबर लगी तो वे नेपाल से दादरी के कोट गांव पहुंचीं। मां को देख युवक पूरी तरह से टूट गया और लिपट कर रोने लगा। अंततः पुलिस और परिवार वालों के बहुत समझाने पर वह नेपाल लौट गया।
दरअसल, नेपाल का रहने वाला 14 वर्षीय कृष्णा उर्फ रवि अपने रिश्ते में चाचा लगने वाले टीकाराम के साथ रोजगार की तलाश में दिल्ली आया था। मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने पर वह रास्ता भूल गया और भटकते हुए ग्रेटर नोएडा के कोट गांव पहुंच गया। जहां उसकी तबीयत खराब होने की वजह से बेहोश होकर खेत में गिर पड़ा। ये खेत संजय का था, जिसने उसे अस्पताल में भर्ती कर इलाज कराया। इसके बाद कृष्णा उसके साथ ही रहने लगा। इस बीच कृष्णा के परिवार वालों ने उसकी तलाश शुरू की और जब वह नहीं मिला तो उसके अपहरण का मुकदमा दर्ज करा दिया। इसके बाद पुलिस चाचा टीकाराम को रवि को गायब करने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
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ढाई साल बाद मिला बागपत में

कोट गांव के रहने वाले संजय और उसके परिवार ने कृष्णा उर्फ रवि को अपने घर में न केवल वर्षों तक रखा, बल्कि उसे वे हर सुविधा उपलब्ध कराई जो परिवार के सदस्य को दी जाती है। इस बीच एक दिन रवि को कुछ लोग अपनी बातों में फंसाकर बागपत ले गए। संजय और उसके परिजनों ने दादरी कोतवाली में रवि की गुमशुदगी दर्ज कराई और लगभग ढाई वर्ष के बाद रवि को बागपत से ढूंढ निकाला और एक बार फिर रवि संजय और उसके परिवार के बीच आ गया।
किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था

लेकिन, यहां भी किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। बागपत के रहने वाले लोगों ने कृष्णा उर्फ रवि की जानकारी नेपाल एम्बेसी को देते हुए कहा कि रवि को जबरन कोट गांव में कैद करके रखा गया है जिस पर नेपाल एंबेसी ने जांच कराई और फिर इसकी जानकारी रवि के परिजनों को दी। जब नेपाल पुलिस उसे लेने आई तो रवि ने नेपाल जाने से इनकार कर दिया।
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फिल्म की कहानी की तरह हैप्पी एंडिंग

इसके बाद अपने बेटे रवि को देखने के लिए बेचैन रवि की मां लक्ष्मी अपने आपको रोक न सकी और दादरी चली आई। मां को देख कृष्ण उर्फ रवि पूरी तरह से टूट गया और उससे लिपट कर रोने लगा। रवि को लगभग 22 वर्षों तक पालने वाली महिला और उसका बेटा संजय भी अपने आप को रोक नहीं पाए और रवि से बिछड़ने के गम में रोने लगे। पुलिस अधिकारियों ने कृष्णा उर्फ रवि को नेपाल से आए उसके परिजनों के साथ नेपाल रवाना कर दिया। वहीं रवि के परिजनों ने लगभग 22 वर्षों तक रवि को अपने घर में शरण देने वाले लोगों को आभार प्रकट करते हुए उनका धन्यवाद किया। इस तरह बालीवुड के किसी फिल्म की तरह इस कहानी की हैप्पी एंडिंग हो गई।

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