कंपनी ने किया ये दावा बता दें कि वेव ग्रुप की तरफ से वेव मेगा सिटी पर दिवालिया होने की प्रक्रिया चलाने की अनुमति मांगी गई थी। आरोप है कि नोएडा अथॉरिटी मनमाने तरीके से उनके खिलाफ कार्रवाई कर रही है। इतना ही नहीं अथॉरिटी की तरफ से सेक्टर-32 और 25 में रेजिडेंशियल और कमर्शियल प्रोजेक्ट को गलत तरीके से सील भी किया गया है। उधर, कंपनी का दावा है कि उसने वेव मेगा सिटी प्रोजेक्ट में 3800 करोड़ रुपये का इंवेस्ट किया था। जिसमें बैंक लोन के रूप में लिए गए 200 करोड़ रुपए भी शामिल हैं। इसके अलावा 1400 करोड़ रुपये जो खरीदारों से मिले, वह भी शामिल हैं। इसमें से 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान अलग-अलग सरकारी एजेंसियों को किया गया है। इसमे नोएडा अथॉरिटी को करीब 1600 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।
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UPPSC Recruitment 2022: यूपी में खान निरीक्षक के पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू, जल्दी करें आवेदन रुपयों के साथ हेरफेर की आशंका खबरों के मुताबिक, वेव ग्रुप के कई अलग-अलग प्रोजेक्ट में लगभग 2300 ग्रुप हाउसिंग और कॉमर्शियल के खरीदार परेशान हैं। वहीं खरीदारों की तरफ से जारी किए गए आकड़ों के अनुसार 2300 खरीदारों के फ्लैट और दुकान की अभी तक रजस्ट्री तक भी नहीं हुई है। जानकारों की मानें तो अब यह रजिस्ट्री तभी होगी जब वेव ग्रुप नोएडा अथॉरिटी में बकाए की रकम जमा करेगा। इस पूरे मामले पर एनसीएलटी का कहना है कि मामले की सुनवाई के दौरान वेव ग्रुप के खरीदार यह साबित कर चुके हैं कि उन्होंने समय-समय पर बिल्डर को रुपये जमा कराए हैं। लेकिन ऐसी आशंका है कि इन रुपयों के साथ हेरफेर किया गया है। जिसके बाद रकम की जांच कराने के लिए एनसीएलटी ने सरकारी एजेंसी को जांच के लिए लिखा है।
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निरहुआ ने आजमगढ़ से ठोकी ताल, भोजपुरी गीत गाकर अखिलेश पर यूं कसा तंज, देखें VIDEO ये था पूरा मामला गौरतलब है कि वेव मेगा सिटी सेंटर प्राइवेट लिमिटेड ने साल 2011 में नोएडा के सेक्टर 25 और 32 में लीजहोल्ड के तहत 6.18 लाख वर्गमीटर जमीन का आवंटन नोएडा अथॉरिटी से कराया था। ये जमीन करीब 1.07 लाख रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से 6,622 करोड़ रुपये में ली गई थी। वहीं दिसंबर 2016 में खरीदारों को समय पर फ्लैट और दुकान की डिलीवरी देने और किस्तों पर बकाया रकम वसूलने के लिए नोएडा अथॉरिटी प्रोजेक्ट सैटलमेंट पॉलिसी (पीएसपी) लेकर आई थी। पीएसपी के तहत अथॉरिटी ने डब्ल्यूएमसीसी की 4.5 लाख वर्गमीटर जमीन वापस लेकर 1.08 लाख वर्ग मीटर अधिग्रहण जमीन के आवंटन को निरस्त कर दिया गया और साथ में दो टावरों को भी सील कर दिया था।