कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को वेस्ट यूपी का व प्रियंका गांधी को पूर्वी यूपी का महासचिव और प्रभारी बनाया गया है। लेकिन वेस्ट यूपी में ज्योतिरादित्य को जादू नहीं दिखाई दिया। दरअसल, लोकसभा चुनाव 2014 में कांग्रेस वेस्ट यूपी की अधिकतर सीटों पर तीसरे व चौथे नंबर पर रही थी, जबकि इस बार कांग्रेस प्रत्याशी वेस्ट यूपी की अधिकतर सीटों पर जमानत जब्त होने से नहीं बचा से पाए हैं। जिसके बाद पार्टी कांग्रेसी नेताओं ने दिग्गजों पर निशाना साधना शुरू कर दिया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रघुराज चौधरी ने बताया कि 1977 से 2004 तक कांग्रेस में नॉमिनेशन का प्रक्रिया थी। इसके तहत कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को क्षेत्र के लोगों से संपर्क कराया जाता था। उन्होंने बताया कि धीरे—धीरे यह व्यवस्था खत्म हुई तो कांग्रेस कमजोर होती चली गई। इसके अलावा वरिष्ठ नेता पीतांबर शर्मा का कहना है कि नेतृत्व की तरफ से तो मेहनत की जा रही है। उसे नीचे वाले नेताओं ने चुनाव को गंभीर नहीं लिया। कमजोर और जेब को मजबूत करने के चक्कर में नेताओं को उतार दिया। जिसका परिणाम सामने है।
चुनाव छोड़ भागे था यह प्रत्याशी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का कहना है कि बाहरी प्रत्याशियों की वजह से भी लगातार कांग्रेस कमजोर हो रही है। 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान प्रत्याशी डॉ. रमेश चंद्र तोमर ने आखिरी वक्त में कांग्रेस छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए। नामांकन करने के बाद प्रत्याशी का मैदान छोड़ने से पार्टी की काफी किरकिरी हुई थी। रमेश चंद्र तोमर ने 2014 में गौतमबुद्ध नगर लोकसभा छोड़ी थी। उसके बाद 2019 में भी पार्टी की तरफ से बाहरी प्रत्याशी को टिकट दिया गया। इस बार गौतमबुद्ध नगर सीट से भाजपा नेता ठाकुर जयवीर सिंह के बेटे अरविंद सिंह को टिकट दिया गया। पार्टी के सीनियर पीतांबर शर्मा ने बताया कि पार्टी को अपने नेता व पदाधिकारियों पर भरोसा दिखाना चाहिए। बाहरी प्रत्याशी नहीं उतारना चाहिए।