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एक तरफ जहां पुलिसकर्मी आरोपी सिपाही के बचाव में उतरे हुए है। सोशल मीडिया पर कैंपेन चलाया हुआ है। वहीं हत्यारोपी कांस्टेबल प्रशांत चौधरी की पत्नी राखी मलिक भी प्रशांत की गिरफ्तारी के बाद बौखलाई हुई है। हत्यारोपी सिपाही प्रशांत चौधरी की ओर से एफआईआर दर्ज कराने की मांग कर रही है। प्रशांत चौधरी की पत्नी भी यूपी पुलिस में सिपाही है। वह पति के साथ गोमतीनगर थाने में ही तैनात है। पति की गिरफ्तारी के बाद राखी मलिक ने कैम्प कार्यालय में मौजूद सुरक्षा कर्मियों के साथ धक्का-मुक्की की थी। लेकिन उसी दौरान राखी सिविल ड्रेस में थी। विवाद बढ़ने पर राखी को महिला थाने भेजना पड़ा था। इतना सब कुछ होने के बाद भी अधिकारियों ने राखी मलिक के खिलाफ अनुशासनहीनता के तहत कोई कार्रवाई नहीं की। इस पूरे मामले को देखते हुए यूपी सरकार पूरी तरह गंभीर दिखाई दी रही है। लखनउ में मंगलवार को दौबारा से क्राइम सीन दौहराया गया। वहीं योगी सरकार ने आरोपी सिपाही के खिलाफ किसी भी तरह की राहत देने से इंकार किया है। पूरे मामले में राज्य सरकार नजर टिकाए हुए है। उधर प्रदेश सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है। यूपी के कानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि सरकार मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में ले जाने के पक्ष में है। आरोपी सिपाही की सहायता करने वालों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि पुलिस इसलिए भी दोषी है कि बगैर नाम के एफआईआर दर्ज की। एफआईआर दर्ज होने के बाद में आरोपी की डॉक्टरी होनी चाहिए थी। यह जांच 8 घंटे बाद कराई गई। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को निर्देश दिए गए है कि आरोपी सिपाही के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए। निर्दोष पर गोली चलाने का हक किसी के पास नहीं है।