कृष्ण की लीलाओं के बारे में-
वैसे तो बचपन से ही कहानियों, किताबों और टीवी या फिल्मों के माध्यम से श्री कृष्ण के अलग-अलग लीलाओं और रुपों से परिचित होते रहे हैं। लेकिन आज हम उनके कुछ प्रमुख अवतारों के बारे में नजर डालेंगे।
वैसे तो बचपन से ही कहानियों, किताबों और टीवी या फिल्मों के माध्यम से श्री कृष्ण के अलग-अलग लीलाओं और रुपों से परिचित होते रहे हैं। लेकिन आज हम उनके कुछ प्रमुख अवतारों के बारे में नजर डालेंगे।
कारागार में भगवान श्री कृष्ण का जन्म-
श्री कृष्ण का जन्म उनके ही मामा के कारागार में हुआ था। दरअसल कंस की एक बहन देवकी थी, जिसका विवाह वसुदेव नामक यदुवंशी सरदार से हुआ था। एक समय जब वो अपनी बहन को लेकर जा रहा था तभी आकाशवाणी हुई की देवकी औऱ वासुदेव की आठवी संतान कंस की मृत्यु का कारण बनेगा। इससे कंस बहुत घबरा गया और उसने अपनी बहन और उसके पति वासुदेव को जंजीरों में जकड़ कर कारागार में डाल दिया। इसके बाद वासुदेव और दवकी को एक-एक कर सात संताने हुई और कंस ने उन सबको मार दिया। आखिर में जब उनकी आठवीं संतान यानी कृष्ण का जन्म होने वाला था। उस समय भी कंस ने खास इंतजाम किया था। लेकिन प्रभु की लीला के आगे सारे पहरेदार खड़े-खड़े सो गए। कारगारों के दरवाजे अपने आप खुल गए। जिस समय कृष्ण जी जन्म के समय घनघोर वर्षा हो रही थी। चारो तरफ़ घना अंधकार छाया हुआ था। भगवान के निर्देशानुसार कष्ण जी को रात में ही वासुदेव ने मथुरा के कारागार से गोकुल में उन्हे नंद बाबा के घर ले गए जहां नन्द बाबा की पत्नी यशोदा को एक कन्या हुई थी। वासुदेव बालक कृष्ण को यशोदा के पास सुलाकर उस कन्या को अपने साथ ले गए।
श्री कृष्ण का जन्म उनके ही मामा के कारागार में हुआ था। दरअसल कंस की एक बहन देवकी थी, जिसका विवाह वसुदेव नामक यदुवंशी सरदार से हुआ था। एक समय जब वो अपनी बहन को लेकर जा रहा था तभी आकाशवाणी हुई की देवकी औऱ वासुदेव की आठवी संतान कंस की मृत्यु का कारण बनेगा। इससे कंस बहुत घबरा गया और उसने अपनी बहन और उसके पति वासुदेव को जंजीरों में जकड़ कर कारागार में डाल दिया। इसके बाद वासुदेव और दवकी को एक-एक कर सात संताने हुई और कंस ने उन सबको मार दिया। आखिर में जब उनकी आठवीं संतान यानी कृष्ण का जन्म होने वाला था। उस समय भी कंस ने खास इंतजाम किया था। लेकिन प्रभु की लीला के आगे सारे पहरेदार खड़े-खड़े सो गए। कारगारों के दरवाजे अपने आप खुल गए। जिस समय कृष्ण जी जन्म के समय घनघोर वर्षा हो रही थी। चारो तरफ़ घना अंधकार छाया हुआ था। भगवान के निर्देशानुसार कष्ण जी को रात में ही वासुदेव ने मथुरा के कारागार से गोकुल में उन्हे नंद बाबा के घर ले गए जहां नन्द बाबा की पत्नी यशोदा को एक कन्या हुई थी। वासुदेव बालक कृष्ण को यशोदा के पास सुलाकर उस कन्या को अपने साथ ले गए।
ये भी पढ़े : इन गानों के बिना अधूरी है जन्माष्टमी, बॉलीवुड ने भी अपने गानों से कृष्ण के नटखट अंदाज को घर-घर पहुंचाया Janmashtami ” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2018/08/28/k_in_jail_3322865-m.jpg”>कृष्ण की बाल लीला-
भगवान श्री कृष्ण बचपन से ही नटखट थे। जितना वो नंद बाबा और यशोदा जी को परेशान करते थे उतना ही वो गांव वालों को भी अपने नटखट अंदाज और लीलाओं से परेशान करते थे। कृष्ण जी अपने दोस्तों के साथ गांव वालों के माखन चुरा कर खा जाते थे। जिसके बाद गांव की महिलाएं और पुरूष कृष्ण की शिकायत लेकर पहुंच जाते थे। तब उन्हें अपनी मां की डांट खानी पड़ती थी। नन्हें कृष्ण को कोई नहीं जानता था कि वो भगवान हैं और यशोदा दी उनकी शिकायत पर उन्हें खूब मारती थीं और बालक कृष्ण उनकी मार का भरपूर आनंद उठाते थे। सूरदास ने इस बर बड़ा हीू सुंदर वर्णन किया है.…
मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो,
भोर भयो गैयन के पाछे, मधुवन मोहिं पठायो ।
भगवान श्री कृष्ण बचपन से ही नटखट थे। जितना वो नंद बाबा और यशोदा जी को परेशान करते थे उतना ही वो गांव वालों को भी अपने नटखट अंदाज और लीलाओं से परेशान करते थे। कृष्ण जी अपने दोस्तों के साथ गांव वालों के माखन चुरा कर खा जाते थे। जिसके बाद गांव की महिलाएं और पुरूष कृष्ण की शिकायत लेकर पहुंच जाते थे। तब उन्हें अपनी मां की डांट खानी पड़ती थी। नन्हें कृष्ण को कोई नहीं जानता था कि वो भगवान हैं और यशोदा दी उनकी शिकायत पर उन्हें खूब मारती थीं और बालक कृष्ण उनकी मार का भरपूर आनंद उठाते थे। सूरदास ने इस बर बड़ा हीू सुंदर वर्णन किया है.…
मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो,
भोर भयो गैयन के पाछे, मधुवन मोहिं पठायो ।
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कालिया नाग का वध-
एक बार श्रीकृष्ण अपने मित्रों के साथ यमुना नदी के किनारे गेंद खेल रहे थे और अचानक गेंद को यमुना नदी नें चली गई । गेंद के डूबने पर सभी साथियों ने कृष्ण जी को गेंद निकाल कर लाने को कहा। जिसके बाद वो तुंरत कदम्ब के वृक्ष पर चढ़कर यमुना में कूद पड़े और फिर अपने भाई बलराम के साथ मिल कर नदी में जहरिले कालिया नाग का वध किया।
कालिया नाग का वध-
एक बार श्रीकृष्ण अपने मित्रों के साथ यमुना नदी के किनारे गेंद खेल रहे थे और अचानक गेंद को यमुना नदी नें चली गई । गेंद के डूबने पर सभी साथियों ने कृष्ण जी को गेंद निकाल कर लाने को कहा। जिसके बाद वो तुंरत कदम्ब के वृक्ष पर चढ़कर यमुना में कूद पड़े और फिर अपने भाई बलराम के साथ मिल कर नदी में जहरिले कालिया नाग का वध किया।
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शुभ मुहूर्त के साथ ही पारण का भी सही समय
गोपियों संग रासलीला-
भगवान श्री कृष्ण के बचपन से ही कई साथी थे। लेकिन उनका गांव की गोपियों से भी खूब बनती लेकिन और राधा जी की का एक खास रिश्ता था। राधा, कृष्ण के बंसी के धुनों में रम जाती थी। वृंदावन अपने गांव में राधा कृष्ण ने खूब रासलीला की है यानी तीज त्योहार पर साथ नाचते बजाते थे। इतना ही नहीं कई बार कृष्ण तो अपने स्याम रंग और राधा के सफेद रंग को देखकर गुस्सा हो जाते और अपनी मां से पूछते – माँ वह राधा इतनी गोरी क्यों है, मैं क्यों काला हूँ? शिकायत करते हैं कि माँ मुझे दाऊ क्यों कहते हैं कि तू मेरी माँ नहीं है।
शुभ मुहूर्त के साथ ही पारण का भी सही समय
गोपियों संग रासलीला-
भगवान श्री कृष्ण के बचपन से ही कई साथी थे। लेकिन उनका गांव की गोपियों से भी खूब बनती लेकिन और राधा जी की का एक खास रिश्ता था। राधा, कृष्ण के बंसी के धुनों में रम जाती थी। वृंदावन अपने गांव में राधा कृष्ण ने खूब रासलीला की है यानी तीज त्योहार पर साथ नाचते बजाते थे। इतना ही नहीं कई बार कृष्ण तो अपने स्याम रंग और राधा के सफेद रंग को देखकर गुस्सा हो जाते और अपनी मां से पूछते – माँ वह राधा इतनी गोरी क्यों है, मैं क्यों काला हूँ? शिकायत करते हैं कि माँ मुझे दाऊ क्यों कहते हैं कि तू मेरी माँ नहीं है।
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यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला |
बोली मुस्काती मैया, ललन को बताया,
काली अँधेरी आधी रात को तू आया |
लाडला कन्हीया मेरा काली कमली वाला, इसी लिए काला ||
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला |
बोली मुस्काती मैया, ललन को बताया,
काली अँधेरी आधी रात को तू आया |
लाडला कन्हीया मेरा काली कमली वाला, इसी लिए काला ||
गोवर्धन पर्वत-
कृष्ण के लीला से अंजान एक बार भगवान इंद्र ने वृंदावन में खूब बारिश की, जिससे गांव वालों का सबकुछ उजड़ गया। पूरे गांव में पानी भर गया अब उनके पास कोई सहारा नहीं था। जब भगवान कृष्ण ने देखा तो उन्होंने गांव के ही गोवर्धन पर्वत को अपनी कानी उंगली पर उठाकर सबकी सबको उसके नीचे छुपने की शरण दी। दरअसल गांव में तब इंद्र से डर कर उनकी पूजा करते थे। तब कृष्ण ने उन्हें परमेश्वर की पूजा करने की
कृष्ण के लीला से अंजान एक बार भगवान इंद्र ने वृंदावन में खूब बारिश की, जिससे गांव वालों का सबकुछ उजड़ गया। पूरे गांव में पानी भर गया अब उनके पास कोई सहारा नहीं था। जब भगवान कृष्ण ने देखा तो उन्होंने गांव के ही गोवर्धन पर्वत को अपनी कानी उंगली पर उठाकर सबकी सबको उसके नीचे छुपने की शरण दी। दरअसल गांव में तब इंद्र से डर कर उनकी पूजा करते थे। तब कृष्ण ने उन्हें परमेश्वर की पूजा करने की
शिक्षा दी और फिर से नई शरूआत करने को कहा। साथ ही कार्तिक मास में अन्नकूट की पूजा आरंभ कराई। कंस का वध-
कृष्ण और बलराम के अद्भुत पराक्रम को देख कर कंस समझ गया था कि ये देवकी और वासुदेव के ही पुत्र हैं और उन्हें मारने के कई उपाय किए लेकिन वो सभी में विपळ रहा। आखिर में उसने तय किया कि इन बालकों को एक मायावी पलवान के हाथों मरवा दे। इसके लिए कंस ने कृष्ण और बलराम को पलवान से लड़ने के लिए आंमत्रित किया। लेकिन उन्होंने उस पहलवान को मार दिया और कंस का भी वध कर अपने जन्मदाता मां-बाब को कारागार से मुक्त कराया।
इसके बाद कृष्ण और बलराम शिक्षा के लिए अपने गुरू के आश्रम चले गए। कृष्ण ने कुछ दिन द्वारका में भी बिताए। इसके बाद कृष्ण के नेतृत्व में पांडवो ने कौरवों के साथ महाभारत का ऐतिहासिक युद्ध लड़ा।
कृष्ण और बलराम के अद्भुत पराक्रम को देख कर कंस समझ गया था कि ये देवकी और वासुदेव के ही पुत्र हैं और उन्हें मारने के कई उपाय किए लेकिन वो सभी में विपळ रहा। आखिर में उसने तय किया कि इन बालकों को एक मायावी पलवान के हाथों मरवा दे। इसके लिए कंस ने कृष्ण और बलराम को पलवान से लड़ने के लिए आंमत्रित किया। लेकिन उन्होंने उस पहलवान को मार दिया और कंस का भी वध कर अपने जन्मदाता मां-बाब को कारागार से मुक्त कराया।
इसके बाद कृष्ण और बलराम शिक्षा के लिए अपने गुरू के आश्रम चले गए। कृष्ण ने कुछ दिन द्वारका में भी बिताए। इसके बाद कृष्ण के नेतृत्व में पांडवो ने कौरवों के साथ महाभारत का ऐतिहासिक युद्ध लड़ा।