नोएडा।
कुछ करने की इच्छा और मन में विश्वास हो तो पूरी दुनिया भी आपको डिगा नहीं
सकती। इसके लिए चाहिए तो केवल खुद पर भरोसा। किसलय चौधरी की कहानी कुछ ऐसी
ही है। आज किसलय को पूरी दुनिया जानती है, लेकिन जब किसलय ने अपने
प्रोजेक्ट की शुरुआत के लिए आईबीएम का 12 लाख का पैकेज ठुकराया था, तब
उन्हें कोई नहीं जानता था।
जो जानते थे उन्होंने किसलय को पागल कहना शुरू
कर दिया था। यहां तक कि घरवालों ने भी बात करना बंद कर दिया था। किसलय ने
अपनी दुनिया एक कमरे में बसाई और लग गए अपने ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने
में। छह महीने तक किसलय अपने कमरे से बाहर नहीं निकले थे।
केवल छह महीने किया कामकिसलय
चौधरी बिहार के मुजफ्फरपुर के रहने वाले हैं। किसलय के पिता वीरेंद्र
चौधरी बैंक में मैनेजर हैं। स्कूलिंग के बाद किसलय इंजीनियरिंग के लिए
जयपुर पहुंचे। यहां शोभा सरिया इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक पूरी की। यहां
से किसलय का कैंपस प्लेंसमेंट आईबीएम गुड़गांव के लिए किया गया। उन्हें 12
लाख का पैकेज आॅफर किया गया। छह महीने काम करने के बाद उन्हें लगा कि ये
काम उनके लिए नहीं है। उन्हें हैकिंग शुरू से पसंद थी और हैकिंग में ही
करियर बनाना चाहते थे। एक अच्छी खासी सैलरी की सिक्योर जॉब को छोड़ने का
फैसला आसान नहीं था। किसलय ने अपने सपने को पूरा करने के लिए आईबीएम को
अलविदा कह दिया।
हर जगह मिली निराशायह वो मौका था जब पिता को
छोड़कर पूरा परिवार किसलय के खिलाफ चला गया। घर वाले हैकिंग को गलत मानते
थे और कहते थे कि इस काम में फंस जाओगे, लेकिन किसलय ने हार नहीं मानी। वह
अपने भाई के साथ रहने लगे। यहां उन्होंने हैकिंग को एक्सप्लोर किया। अपने
काम के साथ ही किसलय सोशल वर्क में भी इट्रेस्टेड थे। ऐसे में उन्होंने
इंडियन साइबर आर्मी के प्रोजेक्ट को डिजाइन किया। इस प्रोजेक्ट को लेकर
किसलय कई लोगों के पास गए। हर जगह निराशा हाथ लगी।
कोई भी इस तरह के
प्रोजेक्ट में हाथ नहीं डालना चाहता था। किसलय बताते हैं कि, मुझे सभी
लोगों ने एक लाइन में कहा कि इट कांट बी एग्जीक्यूटेड। वहीं एक क्लाइंट ने
उनका प्रोजेक्ट अपने नाम से लांच करने का प्रसताव रखा तो किसलय ने इससे
इनकार कर दिया। किसलय ने अपने कॉलेज के दोस्तों से संपर्क किया और
इंडियन साइबर आर्मी के बारे में उन्हें बताया। दोस्तों ने केवल वालेंटियर
के तौर पर काम करने की हामी भरी। इसके बाद किसलय ने इस प्रोजेक्ट को खुद
लांच करने का प्लान बनाया। जिसमें करीब छह महीने लगे। 2015 में किसलय ने
इंडियन साइबर आर्मी की शुरुआत की।
करते हैं सोशल वर्क भीदेखते
ही देखते इंडियन साइबर आर्मी एक सफल वेंचर में तब्दील हो गई और जिन लोगों
ने कभी किसलय के प्रोजेक्ट को रिजेक्ट किया था वे आज उनके साथ काम करना
चाहते हैं। किसलय बताते हैं कि हम कई सारे प्रोजेक्ट पर काम करते हैं।
गवर्नमेंट के प्रोजेक्ट में भी काम किया जाता है। पुलिस को साइबर ट्रेनिंग
दी जाती है। इसके साथ ही साइबर आर्मी का मोटो है कि जो आम लोग साइबर क्राइम
से पीड़ित हैं उन्हें बिना किसी परेशानी के इंसाफ दिलाया जाए।
किसलय अब तक
साइबर क्राइम के तहत ठगे गए डेढ करोड़ से ज्यादा का रिफंड करा चुके हैं और
तीन हजार से ज्यादा फेक सोशल मीडिया प्रोफाइल डीलीट करा चुके हैं। इस
काम के लिए किसलय लोगों से पैसे नहीं लेते हैं। वह कहते हैं आप किसी ऐसे
आदमी से पैसे नहीं ले सकते जिसके साथ पहले ही ठगी हो चुकी है। इंडिया में
साइबर क्राइम के लिए काम करने वाले लोगों की बहुत कमी है और जो काम कर रहे
हैं वो अपने स्वार्थ के लिए। ऐसे में किसलय की ये पहल पब्लिक और पुलिस के
लिए बेहद अहम है।
कहां आई परेशानीबाकी लोगों की तरह किसलय को भी
अपना स्टॉर्टअप शुरू करने में कई परेशानियां आई। वे बताते हैं कि मुझे
हैकिंग की जानकारी थी, लेकिन बाकी नियमों के बारे में मुझे कुछ नहीं पता
था। कहां कंपनी का रजिस्ट्रेशन होगा? रजिस्ट्रेशन के बाद कंपनी कैसे रन
करेगी? कॉपी राइट क्या होता है? इस तरह की टेक्निकल चीजों में किसलय भी
फंसे। वे बताते हैं कि आज के समय में गूगल पर सब कुछ मौजूद है। मैं जहां भी
अटका गूगल से मदद ली और चीजों को सीखता गया।
विदेशों तक है किसलय की पहचानकिसलय
को यकीन है कि आज नहीं तो कल साइबर आर्मी के कांसेप्ट को सरकार को अपनाना
पड़ेगा। फिलहाल किसलय रशिया की सीएस यूनिवर्सिटी के इंफॉर्मेशन सिस्टम
सिक्योरिटी प्रोग्राम की करिकुलम रिव्यू कमेटी में शामिल हैं। इंडियन
आर्मी, सिक्योर बैंक, सीबीआई, एसटीएफ, एनआईए, पुलिस के साथ मिलकर काम कर
रहे हैं और ये सभी संस्थान किसलय को पूरी अहमियत देते हैं।
साइबर आर्मी अब
तक हजारों लोगों को साइबर क्राइम से बचने की ट्रेनिंग भी दे चुकी है। किसलय
साइबर क्राइम और एथिकल हैकिंग पर किताबें भी लिख चुके हैं और उनकी किताबें
बेस्ट सेलर रह चुकी हैं। नवंबर 2010 में शुरू हुई साइबर वॉर में किसलय की
मेहनत के बाद ही इंडियन आर्मी में साइबर आर्मी लैब की शुरुआत की गई थी।