ये भी पढ़ें : मारपीट लाईव : मुफ्त में खाना देने से किया इनकार, तो दबंगों ने रेस्टोरेंट प्रबंधक को किया लहुलुहान दरअसल ज्यादा वर्कआउट से शरीर के अंदर मांसपेशियां फटकर गलने लगती हैं। जिससे निकलने वाला एंजाइम किडनी के लिए काफी हानिकारक होता है। इतनी ही नहीं जिम करने युवकों द्वारा लिए जाने वाले हाई प्रोटीन डाइट और शरीर से पानी निकालने वाली दवाओं का सेवन करना से उन्हें डायलसिस तक करान की नौबत आ जाती है और गर्मियों में इसका खतरा 60 फीसद तक बढ जाता है।
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गर्मियों में जिम में ज्यादा पसीना बहाने से इसलिए खतरा होता है क्योंकि यूपी के ज्यादातर इलाकों में पारा इस वक्त 40 या 45 डिग्री से अधिक है जिससे शरीर में पानी की कमी होने लगती है। इससे शरीर में विषाक्त पदार्थ जमा होकर किडनी पर दबाव बढ़ाते हैं। इस समय ज्यादा शारीरिक श्रम करने पर मांसपेशियां गलने लगती हैं और खून की आपूर्ति कम होने पर मांसपेशियों से विशेष एंजाइम निकलकर किडनी डैमेज करता है।
इतना ही नहीं जिम जाने वाले युवा अपने मसल्स को फुलाने के लिए हाई प्रोटीम पावडर या स्टरायड भी लेते हैं। इस वक्त युवा पानी भी कम पीते हैं। जिसकी वजह से मांसपेशियों, नसों एवं हड्डियों में खिंचाव होते हैं और दर्द होते हैं जो की धीरे-धीरे शरीर को कमजोर करते हैं। वहीं दर्द को कम करन के लिए दर्द निवारक गोलियां लोते हैं। जिसका सर्वाधिक दुष्प्रभाव किडनी पर देखा गया है। कई बार कैंसर तक हो जाता है।
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यूपी बाडी बिल्डींग के सचिव विनोद शर्मा का बताते हैं कि अगर गर्मी में पारा 40 डिग्री से ज्यादा हो तो शारीरिक परिश्रम से बचें। क्योंकि शरीर में पानी कम होने से किडनी दूषित पदार्थो को छान नहीं पाती है। साथ ही जिम करने वाले स्टेरायड और दर्द निवारक दवाओं का सेवन न करें और संतुलित एक्सरसाइज करें।