उनका कहना है ये फैसला बहुत पहले होना चाहिए था, लेकिन जब भी हुआ अच्छा हुआ। अब कश्मीर की समस्या का भी समधान हो जाएगा और वे एक बार फिर कश्मीर की वादियों में सांस ले सकेंगे और और अपने पैतृक गांव लौट सकेंगे। इस फैसले से पूरे देश को खुश होना चाहिए। वहीं कश्मीरी माइग्रेंट्स ने मिठाई बांट कर खुशी का इजहार किया।
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आइए जानते हैं कश्मीर को छोड़ कर नोएडा में रहने को मजबूर कश्मीरियों का क्या कहना है…
मूलरूप से कश्मीर के निवासी अशोक मनवटी दो दशक पहले कश्मीर को छोड़ आए और नोएडा के सैक्टर 15 में स्टेशनरी की दुकान खोल कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। उनको अपनी कश्मीर की मिट्टी से बिछड़ने का दर्द सालता था। और उन्होंने अपने हक और हुकूक के लिए संघर्ष करते रहे। इस दौरान उन्होंने अपनी कश्मीर की मिट्टी से बिछड़े और नोएडा में बसने वाले कश्मीरी माइग्रेंट्स को एकजुट करने के लिए कश्मीरी माइग्रेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन बनाई। लोगों को एक जुट कर अपना संघर्ष जारी रखा।
अशोक मनवटी का कहना है कि यह बहुत खुशी की बात है। इस फैसले से पूरे देश को खुश होना चाहिए। इससे किसी को कोई परेशानी नहीं होगी। उनका कहना है कि अलगाववादी इस फैसले का विरोध सिर्फ इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि अब उनकी मनमानी नहीं चलेगी। किसी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जा सकेगा। इतना ही नहीं चुनाव में धांधली पर चुनाव आयोग भी दखल दे सकेगा।
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अशोक मनवटी के साथ संघर्ष के साथी रहे नरेश भान और एडी विसेन का कहना है सरकार ने जो कदम उठाया है, उससे स्थिति को सुधारने में दो चार महीने लगेंगे। जिन खानदानों ने कश्मीर को बर्बाद कर रखा है। अब उनका प्रभाव कम होगा और हमको घर वापसी का अपनी संपत्ति को वापस मिलने का मौका मिलेगा। कश्मीर ऋषि मुनियों की धरती रही है उसकी अपनी एक संस्कृति भी रही है, जिसे नष्ट करने का काम हुआ है। अब लगता है हालात सुधरेंगे।