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‘कांग्रेस मेरा विरोध करने के चक्कर में देश का विरोध करने लगी’कैराना के साथ ही बिजनौर जिले की नूरपुर विधानसभा सीट पर भी सोमवार को ही मतदान होना है। हम इस खबर में आपको यह बताने जा रहे हैं कि आखिर कैराना लोकसभा उपचुनाव भाजपा सहित अन्य विपक्षी दलों के लिए क्यों प्रतिष्ठा का सवाल है, आखिर इसमें किसकी हार जीत के क्या दूरगामी परिणाम होंगे। वैसे तो इन दोनों सीटों पर पूर्व में भाजपा का कब्जा होने के चलते वह इन सीटों को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़कर देख रही है।
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विपक्ष ने पीएम मोदी की जनसभा पर उठाए सवाल, 4 साल पूरे होने पर लगाया यह बड़ा आरोपसाथ ही वह गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा-बसपा गठबंधन से शिकस्त मिलने के बाद इन सीटों को जीतकर हिसबा चुकता करना चाहती है। इसके अलावा वह सपा-बसपा-रालोद व कांग्रेस सहित एकजुट हुए सभी विपक्षी दलों को झटका भी देना चाहती है। वहीं ये सभी दल भाजपा को हराकर ये दिखाने की कोशिश में हैं कि अब देश में मोदी लहर खत्म हो चुकी है और हम अब जनता के बीच 2019 में विकल्प बनकर उभरेंगे। हालांकि इस उपचुनाव में मुख्यरूप से सपा-रालोद का गठबंधन है।
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कैराना उपचुनाव में अखिलेश ने इस वजह से नहीं किया प्रचार, जानकर आप भी रह जाएंगे दंग बसपा व कांग्रेस सहित अन्य छुटभैये दलों का इनको समर्थन है। यह चुनाव सपा-रालोद के जीतने से बसपा के साथ भविष्य में उनके गठबंधन की संभावनाओं को मजबूत करने का आधार बनेगा। हारने की स्थिति में ये संभावनाएं कमजोर हो सकती हैं। साथ ही रालोद के लिए इस चुनाव में जीतने के मायने उससे छिटका हुआ उसका मुस्लिम और जाट वोट का फिर से जुड़ना होगा। इसके अतिरिक्त कैराना सीट जीतने के बाद रालोद के पास 2019 के चुनाव में अधिक सीटों की दावेदारी करने का एक आधार भी हो जाएगा। यह भी पढ़ें-उपचुनाव: जानिए नूरपुर की गली-गली में क्यों बज रहा है ये गाना, बदल सकता है चुनाव का रुख
सपा के लिए उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजाप के लिए मुख्य विपक्षी दल के तौर पर मुखर होकर खड़े होने का भी आधार बनेगा। आपको बता दें कि कैराना लोकसभा सीट भाजपा सांसद हुकुम सिंह के निधन से जबकि नूरपुर विधानसभा सीट भाजपा के ही विधायक लोकेंद्र चौहान के निधन से रिक्त हुईं हैं। कैराना सीट पर दिवंगत सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह जबकि नूरपुर सीट पर दिवंगत विधायक लोकेंद्र चौहान की पत्नी अवनी सिंह भाजपा की प्रत्याशी हैं। जबकि सपा-रालोद गठबंधन की ओर से कैराना सीट पर तबस्सुम हसन व नूरपुर सीट पर नईमुल हसन प्रत्याशी हैं। यहां मुख्य मुकाबला भाजपा और गठबंधऩ के बीच ही माना जा रहा है। इन सीटों पर सोमवार को मतदान, जबकि मतगणना 31 मई को होगी।
सपा के लिए उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजाप के लिए मुख्य विपक्षी दल के तौर पर मुखर होकर खड़े होने का भी आधार बनेगा। आपको बता दें कि कैराना लोकसभा सीट भाजपा सांसद हुकुम सिंह के निधन से जबकि नूरपुर विधानसभा सीट भाजपा के ही विधायक लोकेंद्र चौहान के निधन से रिक्त हुईं हैं। कैराना सीट पर दिवंगत सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह जबकि नूरपुर सीट पर दिवंगत विधायक लोकेंद्र चौहान की पत्नी अवनी सिंह भाजपा की प्रत्याशी हैं। जबकि सपा-रालोद गठबंधन की ओर से कैराना सीट पर तबस्सुम हसन व नूरपुर सीट पर नईमुल हसन प्रत्याशी हैं। यहां मुख्य मुकाबला भाजपा और गठबंधऩ के बीच ही माना जा रहा है। इन सीटों पर सोमवार को मतदान, जबकि मतगणना 31 मई को होगी।