कैराना-नूरपुर मतगणना LIVE:दोनों सीटों पर भाजपा को बड़ा झटका, गठबंधन प्रत्याशियों ने बनाई भारी बढ़त
नूरपुर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने अपने दिवंगत विधायक लोकेन्द्र सिंह चौहान की पत्नी अवनि सिंह को चुनाव मैदान में उतारा था। दरअसल, भाजपा को उम्मीद थी कि दिवंगत विधायक की पत्नी को टिकट देकर सहानुभूति वोट के जरिए जीत दर्ज की जा सकती है। इसी रणनीति के तहत अवनि सिंह को भाजपा ने टिकट दिया था। वहीं, सपा ने रालोद के साथ गठबंधन कर अपने अजबूत प्रत्यशी और 2017 विधानसभा चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे नईमुलहसन को टिकट दिया था। इस बार इस क्षेत्र से कोई भी दूसरा विपक्षी उम्मीदवार सामने नहीं होने से भी सपा को इसका फायदा मिला है। इससे पहले यहां 2017 में हुए चुनाव के दौरान सपा के नईम-उल-हसन दूसरे और भसपा के उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे थे। तब भाजपा उम्मीदवार लोकेन्द्र चौहान को मात्र 1200 वोट से जीत मिली थी, जबकि बसपा उम्मीदवार 40000 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे। अब चूंकि बसपा ने भी सपा को समर्थन कर दिया था। ऐसे में बपा उम्मीदवार की जीत पहले से ही तय मानी जा रही थी।
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जाट वोटों ने भाजपा को दिया झटका
माना जा रहा है कि भाजपा से किसानों की नाराजगी और चौधरी अजित सिंह की लगातार मेहनत की वजह से भाजपा के हाथ से जाट वोट इस बार खिस गया। दरअसल, कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा में सपा और रालोद के गठबंधन के बाद कैराना उपचुनाव में चौधरी अजित सिंह और उनके बेटे जयंत चौधरी की कड़ी मशक्कत के चलते जाट वोटर भाजपा से दूरी बनाता नजर आया। यानी इन दोनों सीटों पर हुए उपचुनाव में रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह और उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने अपनी खोई हुई जमीन पाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। अपने पूरे दल-बल के साथ दोनों पिता-पुत्र ने ताबड़तोड़ संपर्क कर जाटों के बीच नए सिरे से भरोसा जगाया और अपनी खोई हुई जमीन वापस हासिल कर ली। इसके उलट अगर बात की जाए भाजपा कि तो क्षेत्र की तो अब तक परिणामों से साफ नजर आ रहा है कि भाजपा हाईकमान जाट वोटरों को साधने में ठोस कार्ययोजना नहीं तैयार कर पाया। इसके अलावा इस उपचुनाव में मुस्लिम वोटों की एकजुटता भी काम आई, क्योंकि मुस्लिम बाहुल्य इन सीटों से किसी और विपक्षी पार्टी ने उम्मीदवार नहीं उतारा था।