दरअसल, पिछले साल ये मुद्दा तब गरमाया था जब सेक्टर 58 एसएचओ ने एक पार्क में नमाज पढ़ने को लेकर कंपनियों को नोटिस भेज दिया था। लेकिन जुमे के दिन नमाजियों ने प्रशासन के आदेशों को दरकिनार कर प्राधिकरण के कई पार्को में नमाज पढ़ी। इस मामले में मौलाना को भी जेल भेजा गया था। जिसके बाद मामला ने तूल पकड़ा और पुलिस प्रशासन ने इसमें सख्ती दिखाई। बाद में प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए किसी भी सार्वजनिक स्थल पर बिना अनुमति धार्मिक कार्यक्रम करने पर रोक लगा दी थी। साथ ही सेक्टर-58 स्थित कंपनियों के कर्मचारियों पार्क में नमाज पढ़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था।
वहीं जब इसकी दोबारा पड़ताल की गई तो देखा गया कि सेक्टर-58 पार्क में पाबंदी के बाद लोगों ने सेक्टर-54 पार्क में बनी बाबा भूरे शाह दरगाह में नमाज पढ़ना शुरू कर दिया है। नमाजियों के मुताबिक, पाबंदी से बस फर्क इतना है कि मस्जिद व दूसरे पार्क में जाने में अधिक समय लग रहा है। पहले सहूलियत थी और समय बचता था। लेकिन पाबंदी के बाद लोगो सेक्टर-58 पार्क में नमाज पढ़ना बंद कर दिया है। इस बात की पुष्टि इस पार्क के आस-पास रहने वाके लोग भी कर रहे हैं।
इमाम अब्दुल नाजिर जो कि जुमे के दिन सेक्टर-54 में जाकर नमाज पढ़ाते हैं। उनका कहना है कि जुमे की नमाज ईद की तरह ही होती है यानी ये हफ्ते की ईद होती है और इसे बिना मौलवी के पढ़ा जाना संभव नहीं है। इसलिए लोग इकट्ठा होकर मौलवी के पीछे नमाज पढ़ते हैं। खुतबा सुनते हैं और दुआ मांगते हैं तब जाकर यह कहीं नमाज पूरी होती है।