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दुर्गा शक्ति के साहस और धैर्य को दिखाएगी फिल्म प्रोडूसर सुनीर खेतरपाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कुछ इंस्पिरेशनल कहानियों लोगों को बताना बहुत ही जरूरी होता है। आने वाली फिल्म एक ऐसी लड़की की कहानी है जो साहस का प्रतिक है। दुर्गा शक्ति के साहस और धैर्य की गाथा लोगों को सही रास्ता चुनने के लिए प्रेरित करती हैं। दुर्गा शक्ति के माध्यम से हम दर्शकों को दिखाना चाहते हैं कि कैसे उन्होंने इतनी सारी परेशानियों का सामना किया और फिर भी अपने नैतिकता पर अडिग रहीं। वहीं फिल्म के दूसरे प्रोडूसर रोबी गरेवाल का कहना है कि ये बहुत ही सम्मान की बात है कि हम एक आइकोनिक हीरो की जीवंत कहानी को बड़े परदे पर लेकर आ रहे हैं। यह भी पढ़ें
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24 वर्ष की उम्र में बन गईं IAS अधिकारी बता दें कि 24 साल की उम्र में ही IAS अधिकारी बनीं दुर्गा शक्ति नागपाल की तैनाती तत्कालीन अखिलेश सरकार के दौरान गौतमबुद्ध नगर जिले में एसडीएम के पद पर हुई थी। तब उन्होंने राजनीतिक दबाव से जूझते हुए दुर्गा शक्ति ने खनन माफिया के नेटवर्क पर प्रहार कर उसे ध्वस्त कर दिया था। उनकी इस कार्रवाई ने अधिकारियों से लेकर राजनीतिक हलके में हलचल मचा दी थी। इससे नोएडा, ग्रेटर नोएडा में खनन के अवैध कारोबार पर लगाम लग गई थी। वहीं, शासन में बैठे माफिया के करीबी नेता परेशान हो गए थे और उन्होंने सत्ता का दुरुपयोग करते हुए दुर्गा शक्ति नागपाल को निलंबित करवा दिया था। जिसके बाद दुर्गा शक्ति के समर्थन में पूरा देश खड़ा हो गया और वह रातों रात लाखों लोगों के लिए रोल मॉडल बन गईं। दुर्गा शक्ति नागपाल ने मीडिया को बताया कि गौतमबुद्ध नगर जिले में अवैध खनन रोकना एक बड़ी चुनौती थी। बिना किसी दबाव के मैंने इस धंधे पर लगाम लगाकर माफिया को जेल भेजा था अब आने वाली इस फिल्म को लेकर मैंउत्साहित हूं। पिता भी हैं अधिकारी गौरतलब है कि दुर्गा शक्ति नागपाल पंजाब का जन्म 25 जून (June) 1985 को रायपुर (Raipur) में हुआ था। उनके पिता भारतीय सांख्यिक सेवा में अधिकारी के पद पर तैनात हैं। इतना ही नहीं, दुर्गा शक्ति नागपाल के पति अभिषेक सिंह भी एक आईएएस अधिकारी हैं। गौतम बुद्ध नगर (Gautam Budh Nagar) में तैनाती के दौरान उन्होंने अवैध खनन के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया था। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने रेत से भरी 300 ट्रॉलियों को कब्जे में लिया था। इस बीच उन्होंने गांव में एक मस्जिद की दीवार को बिना अनुमति बनाए जाने पर गिरवा दिया था। जिसके बाद तत्कालीन अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) सरकार ने उन्हें सस्पेंड कर दिया था।