जानिए, कब से शुरू होगा हिंदू नववर्ष 2018 और क्यों मनाया जाता है सैकड़ों वर्षों से चली अा रही है परंपरा मुरादाबाद के गांव बीपुरबरियार में यह परंपरा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है। होली का त्यौहार मनाकर उन्होंने सांप्रदायिक सद्भ्ाावना की यह मिसाल वर्षों से कायम कर रखी है। यह गांव जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर स्थित है। काफी दिन पहले से ही यहां के मुसलमान तैयारी में जुट जाते हैं। करीब एक हफ्ते पहले से शुरू हुआ मेला त्यौहार के बाद तक चलता है। इतना ही नहीं यहां के मुसलमान होली की चौपाई भी गाते हैं।
होली के टोटके- इनको आजमाने से बदल जाएगी आपकी किस्मत शुरू हो चुकी हैं त्यौहार की तैयारियां गांव के पूर्व प्रधान हाजी रशीद अहमद बताते हैं कि उनके दादा भी गांव में होली परंपरा का जिक्र किया करते थे। वहीं, मुराद हुसैन व हाजी रईस कहते हैं कि गांव में होली खेलने का चलन सैकड़ों साल पुराना है। उनका कहना है कि गांव में होली की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।
Holi 2018: इस समय करेंगे होलिका दहन तो चमकेगी किस्मत चौपाई निकालने की परंपरा आज भी जिंदा गांव के बुजुर्गों के अनुसार, गांव में होली की चौपाई निकालने की परंपरा आज भी जिंदा है। वह कहते हैं रंग व गुलाल का चलन कुछ कम हुआ है लेकिन चौपाई निकालने की परंपरा जारी है। यह देखने के लिए आसपास के जिलों बरेली व रामपुर से लोग भी यहां आते हैं। यहां के मुसलमान लजीज पकवानों से उनका स्वागत करते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि गांव में आने वाले मेहमानों की खातिरदारी गुझिया व अन्य पकवानों खोया व दूध, व घी परोस कर की जाती है। सभी घरों में इस तरह का पकवान होता है।