सपा से लोकसभा चुनाव के लिए टिकट लेना चाहते हैं तो देने होंगे इतने रुपये फाल्गुन मास की पूर्णिमा को पड़ता है त्यौहार उन्होंने बताया कि विक्रम सवंत हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा को आता है। होली बहुत ही उत्साह वाला त्योहार है और यह बसंत ऋतु के आने और सर्दियों के जाने का प्रतीक है। इस बार होलिका दहन 1 मार्च को है। इसका शुभ मुहूर्त शाम 6.16 से 8.47 तक रहेगा।
मां व पत्नी नहीं बल्कि इस महिला की वजह से भुवनेश्वर बना पाए 5 विकेट का यह रिकॉर्ड यह है शुभ मुहूर्त होलिका दहन 1 मार्च शुभ मुहूर्त- 18:16 से 20:47
भद्रा पूंछ- 15:54 से 16:58 भद्रा मुख- 16:58 से 18:45 दुल्हैंडी- 2 मार्च पूर्णिमा तिथि आरंभ- 08:57 (1 मार्च) पूर्णिमा तिथि समाप्त- 06:21 (2 मार्च) बसपा नेता अब किसी के नहीं छुएंगे पैर, अभिवादन में कहेंगे जय भीम
क्यों मनाते हैं होली होली के साथ कई तरह की कहानियां जुड़ी हुई हैं। उन्हीं में से एक प्रहलाद और हिरण्यकश्यप की भी कहानी है। कथाओं के अनुसार, राजा हिरण्यकश्यप चाहता था कि हर कोई भगवान की तरह उसकी पूजा करे लेकिन उसके पुत्र प्रहलाद ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। प्रहलाद भगवान विष्णु के भक्त थे। इससे नाराज हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को कई बार मारने की कोशिश की लेकिन सफल न हो सका। फिर हिरण्यकश्यप और उसकी बहन होलिका ने योजना बनाई कि वह प्रहलाद के साथ चिता पर बैठेगी। पौराधिक कथाओं के अनुसार, होलिका के एक चमत्कारिक कपड़े की वजह से जल नहीं सकती थी लेकिन जैसे ही आग जली, वह कपड़ा उड़कर प्रहलाद के ऊपर चला गया। इस तरह प्रहलाद की जान बच गई और होलिका खत्म हो गई। तभी से होलिका दहन मनाने की परंपरा शुरू हो गई। फिर अगले दिन रंगो से होली खेली जाती है।
यहां भाजपा के खिलाफ बसपा व सपा ने मिलाया हाथ ये है लोकप्रिय होली वैसे तो रंगों का त्यौहार है लेकिन इस अवसर पर बनने वाली मिठाइयां इसे अलग पहचान देते हैं। रंगों के इस त्यौहार की सबसे महत्वपूर्ण मिठाई है गुझिया। पहले तो यह हर घर में बनती थी लेकिन अब ज्यादातर लोग समय बचाने के लिए मिठाई की दुकानों से ही इसे ले लेते हैं। इसके अलावा ठंडाई, गोलगप्पे, दाल कचौरी, पापड़ी चाट, कचौरी, दही भल्ले, छोले भटूरे, कांजी बड़ा के अलावा अन्य कई तरह की नमकीन भी होली की मस्ती को दोगुना कर देते हैं।