संजय श्रीवास्तव, नोएडा। क्या आप सोच सकते हैं कि मेरठ में चार बार जिस शख्स को सांसद को चुना गया, जो लंबे समय तक केंद्रीय मंत्री रहा, उसका सगा बेटा वर्ष 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में दुश्मन देश की सेना का बड़ा अफसर था। पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई के दौरान जब देश को ये जानकारी हुई तो कोहराम मच गया। केंद्रीय मंत्री से इस्तीफा मांगा गया लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहुादुर शास्त्री ने न केवल उनका बचाव किया बल्कि इस्तीफा लेने से भी मना कर दिया।
दरअसल, बात हो रही है जनरल शाहनवाज खान की, जिस समय 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध चल रहा था और भारत की फौजें उससे मुकाबला कर रही थीं, उस समय पकिस्तानी सेना में कर्नल थे महमूद अली, जो बाद में और बड़े पद पर पहुंचे। जब देशभर में ये बात जंगल में आग की तरह फैली तो सनसनी फैल गई। तब वह देश में केद्रीय कृषि मंत्री थे।
विपक्ष ने मांगा था इस्तीफा
विपक्ष ने उनसे इस्तीफा मांग लिया था। वह सियासी दलों और संगठनों के निशाने पर आ गए। शाहनवाज इतने दबाव में आ गए कि इस्तीफा देने का मन बना लिया लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने न केवल उनका बचाव किया बल्कि विपक्ष से भी दो टूक कह दिया कि वह कतई इस्तीफा नहीं देंगे। अगर उनका बेटा दुश्मन देश की सेना में बड़ा अफसर है तो इसमें भला उनकी क्या गलती। वैसे आज भी शाहनवाज के बेटे और परिवार के लोग पाकिस्तान में ऊंचे पदों पर हैं।
आजाद हिन्द फौज के सेनानी थे
पैदा तो वह पाकिस्तान (तब अविभाज्य भारत) के रावलपिंडी जिले के मटोर गांव में हुए। पढाई भी वही हुई। बाद में वह ब्रिटिश सेना में अफसर बन गए, लेकिन असल में तब चर्चा में आए जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिन्द फौज में शामिल हो गए। उनकी अगुवाई में आजाद हिन्द फौज की टुकड़ी बहादुरी से लड़ी। जब ब्रिटिश सेना ने उन्हें पकड़कर लाल किले में डाल दिया और प्रसिद्ध लाल किला कोर्ट मार्शल ट्रायल हुआ, तब देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उनके लिए वकालत की। आजाद हिन्दुस्तान में लाल किले पर ब्रिटिश हुकूमत का झंडा उतारकर तिरंगा लहराने वाले जनरल शाहनवाज़ ही थे। आज भी लालकिले में रोज़ शाम छह बजे लाइट एंड साउंड का जो कार्यक्रम होता है, उसमें नेताजी के साथ शाहनवाज़ की आवाज़ है।
परिवार छोड़ पाकिस्तान से आ गए थे भारत
जब आजादी के समय भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो वह हिन्दुस्तान से मोहब्बत के चलते यहां आ गए। इसके लिए उन्होंने अपने पूरे परिवार को छोड़ दिया। परिवार क्या बल्कि भरापूरा परिवार-बीवी, तीन बेटे, तीन बेटियां। प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान की मां लतीफ फातिमा को उन्होंने ही गोद लिया था। शाहरुख के पिता शाहनवाज खान के साथ ही पाकिस्तान से भारत आए थे। बाद में उन्होंने दोनों की शादी भी कराई।
चार बार मेरठ के सांसद रहे
आजाद हिंदुस्तान में वह चार बार मेरठ से सांसद चुने गए। मेरठ जैसे संवेदनशील शहर में उनके जमाने में कभी कोई दंगा-फसाद नहीं हुआ। शाहनवाज़ ने 1952 में पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर मेरठ से चुनाव जीता था। इसके बाद 1957, 1962 व 1971 में मेरठ से लागातार जीत हासिल की। वह 23 साल तक केन्द्र सरकार में मंत्री रहे।
नेताजी जांच कमीशन के अध्यक्ष भी रहे
1956 में भारत सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत के कारणों और परिस्थितियों के खुलासे के लिए एक कमीशन बनाया था, इसके अध्यक्ष भी जनरल शाहनवाज खान ही थे।
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