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Hartalika Teej Vrat 2018 : नवविवाहिताएं इस साल न रहे हरतालिका व्रत, नहीं तो हो सकता है भारी अनिष्ट, बड़ी वजह है जान कर रहे जाएंगे हैरान

Hartalika Teej Vrat 2018 : नवविवाहिताएं इस साल पहली बार हरतालिका व्रत की शुरूआत न करें, क्योंकि इस साल लगा था खरमास। नए कार्यों व्रत पूजा के लिए है भारी अशुभ है साल 2018
 

नोएडाSep 12, 2018 / 04:14 pm

Ashutosh Pathak

नवविवाहिताएं इस बार न रहे पहली बार हरतालिका व्रत, नहीं तो हो सकता है भारी अनिष्ट

नोएडा। हरतालिका तीज 2018 में 12 सितंबर को है जो कि बुधवार को है। hartalika teej 2018 कब है ये तो सभी जान चुके हैं लेकिन तीज व्रत करने वाली महिलाएं कैसे करें पूजा की मनोकामनाएं हो पूर्ण और पहली बार नवविवाहिताएं कैसे करें पूजा आज इस बारें में जानेंगे, साथ ही जानेंगे किसे पूजा करनी है और किसे नहीं। साथ ही जानेंगें हरतालिका तीज मुहूर्त और पूजा विधि। लेकिन पहली बार व्रत कर रही महिलाएं इस बार व्रत नहीं करें (Instructions for newlyweds vrat ) क्योंकि ये साल अशुभ है। जाने इसके पीछे की कहानी।
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पहली बार व्रत करने वाली महिलाएं न रखें व्रत-

इस बार Adhikmaas या Malmaas होने की वजह से 2018 पूर्ण साल नहीं माना जाएगा। अतिरिक्त होने की वजह से इसे शुभ नहीं माना जाता और मलिन समझा जाता है। इसी वजह से हिंदू पंचाग (Hindu Panchang) के अनुसार जिनकी इस साल शादी हुई है उन्हें कोई भी व्रत या हरतालिका तीज व्रत या पूजा की शुरूआत नहीं करनी चाहिए क्योंकि पुण्य की जगह अपशकुन हो सकता है और कोई फल प्राप्त नहीं होता। हालाकि वो नवविवाहित महिलाएं व्रत कर सकती हैं जो शादी से पहले कुंआरी रहने पर भी Hartalika Teej Vrat रखती थीं। हरतालिका तीज के साथ ही करवा चौथ हो या कोई भी नया व्रत या पूजा पहली बार शुरू नहीं कर सकती हैं। इसलिए पहली बार व्रत कर रही महिलाओं को खास Instructions हैं।
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क्यों लगता है मलमास-
2018 में इस बार अधिकमास, खरमास या मलमास 16 मई से 13 जून तक रहा। धार्मिक ग्रथों, पुराणों के अनुसार एक बार हिरण्यकश्यप पृथ्वी पर सबसे शक्तिशाली राजा बनने के लिए घोर तप करना शुरू कर दिया।हिरण्यकश्यप ने इतना कठोर तप किया कि सभी देवता घबरा गए और ब्रह्मा जी से उसके तप को भंग करने के लिए कहा। तब ब्रह्मा जी ने उसके तप पूरा होने से पहले ही हिरण्यकश्यप के पास पहुंच गएं और वरदान मांगने के लिए कहा। तब हिरण्यकश्यप ने वरदाना मांग की कोई भी मनुष्य, स्त्री, देवता, पशु, पक्षी, जलचर आदि न दिन में न रात में, न घर में न बाहर, न आसमान में न पृथ्वी पर किसी भी अस्त्र-शस्त्र से नहीं पार पाएगा। ब्रह्मा जी ने उसे यह वरदान दे दिया। जिसके बाद अपने राज्य में उसका अत्याचार बढ़ गया।
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विष्णु जी को लेना पड़ा नरसिंह अवतार-
कुछ समय बाद जब उसे एक पुत्र प्रहृलाद हुआ जो कि भगवान विष्णु की पूजा करता था और दिन भर उनका नाम जपता था। ये देख कर हिरण्यकश्यप गुस्से में आ गया और प्रहृलाद को कहा कि बुलाओं अपने भगवान को वो मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते है। अपने तप के बाद मिले वरदान से हिरण्यकश्यप खुद को अमर समझने लगा था। लेकिन जब प्रहृलाद नें भगवान विष्णु की आरधना कर बुलाया तो उन्होंने तो वो एक खंभे से प्रकट हुए। लेकिन ये देख सभी हैरान रह गए भगवान विष्णु मनुष्य के भेष में नहीं तो उन्होंने नरसिंह का अवतार लिया था यानी आधा नर और आधा शेर का।
हिरण्यकश्यप को मारने के लिए लगा अधिकमास-

हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए उस साल Adhikmaas लगा और जब भगवान नरसिंह अवतार में प्रकट हुए तो महल के प्रवेशद्वार की चौखट पर, जो न घर का बाहर था न भीतर, गोधूलि बेला में यानी शाम, जब न दिन था न रात, आधा मनुष्य, आधा पशु जो न नर था न पशु ऐसे Narsingh के रूप में अपने लंबे तेज़ नाखूनों से जो न अस्त्र थे न शस्त्र, से मार डाला। इस प्रकार हिरण्यकश्यप के पापों और दुष्कर्मों की सजा देने के लिए अधिकमास लगाया गया।
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