यह भी पढ़ें
Unlock 1.0 शुरु होते ही इस शहर में दौड़ पड़ी विकास की गाड़ी, जारी हुए 122 करोड़ के टेंडर
सीएमओ डॉ दीपक ओहरी का कहना है कि इमरजेंसी वाली हालत में हम लोगों ने सभी अस्पतालों निर्देशित किया है कि मरीज कोई भी हो, कहीं का भी हो, पहले मानवता है। मरीज को एडमिट कीजिए, इलाज कीजिए। उसके बाद से सेग्रीगेट कीजिए कि करना क्या है। इलाज से कोई कतई मना नहीं कर सकता है। यह भी पढ़ें: दुकान और प्लॉट खरीदने वालों के लिए सुनहरा मौका, 20 जून है आखिरी तारीख, जानिए क्या है कीमत सीएमओ का कहना है कि इमरजेंसी सर्विसेज के लिए हर तरह का क्राइटेरिया बना हुआ है। जैसे कि सस्पेक्टेड को अलग रखेंगे, इमरजेंसी सर्विस हर जगह दी जानी है और इसके नियम में बहुत शक्ति है। इमरजेंसी सर्विस हमेशा दी जाएंगी, चाहे कुछ भी हो जाए। उसके बाद अगर मरीज सस्पेक्ट है तो सस्पेक्ट एरिया में रखिए और फिर उसको सेग्रीगेट कीजिए।
गौरतलब है कि खोड़ा की 30 वर्षीय गर्भवती नीलम की मौत अस्पताल में भर्ती नहीं किए जाने से हो गई। उसके बाद से सरकारी और निजी अस्पतालों पर मरीज़ो के साथ किए जा रहे व्यवहारों पर प्रश्न चिन्ह लगाए जा रहे हैं। वहीं अस्पतालों का कहना है कि वे स्वास्थ्य विभाग कि गाइड लाइन को फालो कर रहे हैं। जिसके अनुसार निजी अस्पतालों में किसी बीमारी के लिए भर्ती होने से पहले कोरोना कि रिपोर्ट अनिवार्य कर दी गई है। अस्पतालों में किसी भी आपरेशन से पहले कोरोना की जांच अनिवार्य की गई है।