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बायर्स का कहना है कि जिलाधिकारी ने शाहबेरी में अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को पत्र लिखा है। हम इसका विरोध करने और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ से मिलने यहां आए, लेकिन हमें नहीं मिलने दिया गया। हम पूछना चाहते हैं कि हमारे फ्लैट किस तरह से अवैध हैं। प्रशासन अगर सत्यापित नहीं कर पाता है, तो वह अपना फैसला वापस ले। नेफोमा और जेपी के बायर्स ने भी रखी अपनी बात मुख्यमंत्री के आने की सूचना मिलते ही उन लाखों बायर्स को एक बार फिर रोशनी की किरन दिखी जो वर्षों से अपने सपनों के आशियाने का इंतजार कर रहे हैं। इसके चलते नेफोमा और जेपी ग्रुप के बायर्स ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा। जिसमें उन्होंने सीएम से गुहार लगाई की उनके घर जल्द से जल्द दिलाए जाएं और बिल्डरों पर कार्रवाई की जाए।
इस बाबत जानकारी देते हुए नेफोमा अध्यक्ष अन्नू खान ने बताया कि दो साल पहले अमेटी यूनिवर्सिटी में मुख्यमंत्री योगी द्वारा मीटिंग की गयी थी। जिसमें बायर्स ग्रुप एवं विधायक पंकज सिंह, उद्योग मंत्री सतीश महाना के साथ मीटिंग हुई थी। जिसमें लाखों फ्लैट बॉयर्स की समस्याओं को गम्भीरता से समझते हुए तुरंत तीन मंत्रियों की समिति अक्टूबर 2017 में गठित कर दी थी। उसके बाद नोएडा, ग्रेटर नोएडा वेस्ट, एक्सप्रेसवे के लाखों फ्लैट ख़रीदारों ने अपनी खुशी जाहिर की थी।
उन्होंने बताया कि बायर्स को एक उम्मीद जगी थी, लेकिन फिर भी बिल्डरों और प्राधिकरण पर इसका कोई असर नहीं हुआ, बल्कि मंत्री समिति आती रही। बार बार अधिकारियों और बिल्डरों से बन्द कमरे में मीटिंग करते रहे, कभी फ्लैट बॉयर्स से नहीं पूछा कि कितनी समस्या का समाधान निकाला? कितने फ्लैट मिले? हमने सीएम से गुहार लगाई है कि बायर्स ने अपनी गाढ़ी कमाई देकर फ्लैट बुक किए हैं, उन्हें उनके घर जल्द से जल्द दिलाए जाएं।