अगले दिन अखबारों में कोई खबर नहीं आई। फर्जी कॉल सेंटर चलानेे वाले खुद गलत थे, जिसकी वजह से शिकायत करने भी नहीं पहुंचे। लेकिन एक कर्मचारी ने मुंह खोला तो मामला खुल गया। फर्जी कॉल सेंटर पर फर्जी क्राइम ब्रांच की टीम ने छापेमारी की थी। 4—4 लोगों की टीम अलग—अलग कॉलसेंटर पर छापेमारी करने पहुंची थी। दोनों कॉलसेंटर पर कर्मचारियों की सैलरी दी जानी थी। फर्जी क्राइम ब्रांच के अफसर और कर्मचारी आईकार्ड से लैस और पत्रकार लेकर पहुंचे थे। जिसकी वजह से कॉल सेंटर संचालक कुछ समझ नहीं पाए। उन्होंने खुद के साथ हो रहे फर्जीवाड़े का मालूम नहीं चल सका। पत्रकारों ने कर्मचारियों को बदनामी का डर दिखाया तो संचालक गिड़गिड़ाने लगे। संचालकों ने उनसे क्राइम ब्रांच की फर्जी टीम के सदस्यों से डील करने शुरू कर दी। बाद में 42 लाख रुपये डील तय हो गई। अभी तक कोई एफआईआर संचालकों की तरफ से दर्ज नहीं कराई गई है।
एक कॉल सेंटर में कर्मचारियों की सैलरी देने के लिए 27 लाख रुपये रखे हुए थे तो दूसरे में 15 लाख। क्राइम ब्रांच की टीम ने कॉल सेंटर संचालकों को एफबीआई का डर दिखाया गया था। दरअसल में पिछले कुछ माह में नोएडा पुलिस ने 26 से अधिक फर्जी कॉल सेंटर के खिलाफ संचालकों कार्रवाई की थी। इस दौरान करीब 126 से अधिक कर्मचारियों को पुलिस ने जेल भेजा था। बता दें कि नोएडा में बैठकर अमेरिका, कनाडा और खाडी देशों के लिए लोगों को चुना लगा रहे थे। नोएडा पुलिस ने एफीबीआई और कनाडा पुलिस के साथ मिलकर कार्रवाई की थी। लगातार हो रही कॉल सेंटर पर कार्रवाई की वजह से भी संचालक उन्हें पहचान नहीं पाए। एसपी क्राइम अशोक कुमार का कहना है कि क्राइम ब्रांच की टीम ने किसी छापेमारी नहीं की है। वह फर्जी छापेमारी की गई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।