यह भी पढ़े- देश के जाने माने ज्योतिषाचार्यों ने 2019 के चुनावों को लेकर की बड़ी भविष्यवाणी, बोले- मोदी पर शनि की साढ़े साती , जानिये किसकी बनेगी सरकार नोएडा के सेक्टर—26 में अखिल भारतीय ज्योतिष संस्था संघ के बैनर तले आयोजित बैठक में संघ के अध्यक्ष अरुण बंसल, कानपुर से आए प्रख्यात ज्योतिष पद्मेष दुबे, दिल्ली से एचएस रावत, मुंबई से पंडित जय प्रकाश शर्मा, दिल्ली से अजय भांबी और मोदीनगर से पंडित बृजकिशोर शर्मा शामिल हुए। इन ज्योतिषाचार्यों ने बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि ज्योतिष के प्रचार-प्रसार और उसकी महत्ता से पूरी दुनिया को अवगत कराने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन कराने पर भी चर्चा की गई है। परिचर्चा में यह भी तय किया गया कि प्रथम चरण में 10 हजार ज्योतिषियों को मुख्य धारा से जोड़ा जाएगा। दूसरे चरण में इस संख्या को एक लाख तक करने का लक्ष्य तय किया गया है। ज्योतिषियों ने एक प्रस्ताव पास कर कहा कि वेद-विज्ञान की वजह से भारत की पूरी दुनिया में अपनी विशिष्ट पहचान है। बावजूद इसके देश में ज्योतिष के लिए अलग से न कोई मंत्रालय है और न ही विभाग। इसके लिए केंद्र सरकार को नए सिरे से विचार करने की जरूरत है। परिचर्चा में विश्व योग दिवस की तरह ही विश्व ज्योतिष दिवस मनाने का भी सरकार से अनुरोध किया गया है।
यह भी पढ़े- गर्मी की छुट्टियों से पहले रेलवे का बड़ा तोहफा, अब इस तरह हर किसी को मिलेगा रिजर्वेशन टिकट इस दौरान प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पद्मेष दुबे ने कहा कि ज्योतिष हजारों-हजार साल पुरानी विद्या है, लेकिन मौजूदा समय में इसे आधुनिक तकनीक से जोड़ने का ऐतिहासिक काम किया गया है। उन्होंने कहा कि यह हर्ष का विषय है कि ज्योतिष के प्रति लोगों में जागरुकता और विश्वास बढ़ा है। मौजूदा समय में 70 फीसदी युवा ज्योतिष हैं। इनमें महिलाओं की भी बड़ी संख्या में भागीदारी है। उन्होंने बताया कि ग्रह संपूर्ण सृष्टि को संचालित करता है और मानव उस सृष्टि का एक अंगमात्र है। वे कहते हैं कि समुद्र में उठने वाला ज्वार-भाटा चंद्रमा से नियंत्रित होता है। जब इतना विशाल समुद्र चंद्रमा से प्रभावित हो सकता है तो मानव का हृदय तो बहुत छोटा है। एक सवाल के जवाब में दुबे ने माना की ज्योतिष विद्या का व्यावसायीकरण हो गया है, लेकिन वह यह भी कहते हैं कि बावजूद इसके यह विधा मानव समेत समस्त सृष्टि के कल्याण का मार्ग बताने वाली है।
यह भी पढ़े- पिता से नहीं देखा गया दहेज पीड़िता बेटी का दर्द तो लगा लिया मौत को गले वहीं दिल्ली के ज्योतिषाचार्य एचएस रावत ने बताया कि ज्योतिष के दो स्वरूप हैं वैज्ञानिक और परावैज्ञानिक, लेकिन दिशाहीनता के कारण मान्यता नहीं मिल पाई है। फिल्म संगीत खेल सबको मान्यता मिली है उनका अपना बोर्ड है। योग को मान्यता मिल सकती है तो ज्योतिष को मान्यता मिले हमारा बोर्ड हो हमे भी फंड रिसर्च करने के लिए मिले।