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रावण जिसे पूरा विश्व राक्षस राजा के नाम से जानता है, वह एक महापंडित था। रावण प्रकांड पंडित होने के साथ ही नीति-राजनीति का ज्ञाता था। जब रावण मरणासन्न अवस्था में था, उस वक्त श्रीराम ने अपने भाई लक्ष्मण से कहा कि नीति, राजनीति और शक्ति का महान् ज्ञाता इस संसार से विदा ले रहा है, उसके पास जाओ और उससे जीवन की कुछ ऐसी शिक्षा ले लो जो और कोई नहीं दे सकता। भगवान राम भी जानते थे कि रावण जैसे ज्ञानी कोई दूसरा नहीं हो सकता है। राम की बात मान कर भगवान लक्ष्मण रावण के सिरहाने जाकर खड़े हो गए। लेकिन तब रावण कुछ नहीं बोला और वह उसी अवस्था में पड़ा रहा। ये देख लक्ष्मण जी वापस आ गए।
रावण जिसे पूरा विश्व राक्षस राजा के नाम से जानता है, वह एक महापंडित था। रावण प्रकांड पंडित होने के साथ ही नीति-राजनीति का ज्ञाता था। जब रावण मरणासन्न अवस्था में था, उस वक्त श्रीराम ने अपने भाई लक्ष्मण से कहा कि नीति, राजनीति और शक्ति का महान् ज्ञाता इस संसार से विदा ले रहा है, उसके पास जाओ और उससे जीवन की कुछ ऐसी शिक्षा ले लो जो और कोई नहीं दे सकता। भगवान राम भी जानते थे कि रावण जैसे ज्ञानी कोई दूसरा नहीं हो सकता है। राम की बात मान कर भगवान लक्ष्मण रावण के सिरहाने जाकर खड़े हो गए। लेकिन तब रावण कुछ नहीं बोला और वह उसी अवस्था में पड़ा रहा। ये देख लक्ष्मण जी वापस आ गए।
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तब भघवान राम ने कहा कि यदि किसी से ज्ञान प्राप्त करना हो तो उसके चरणों के पास खड़े होना चाहिए न कि सिर की ओर। यह बात सुनकर लक्ष्मण जाकर इस रावण के पैरों की ओर खड़े हो गए। उस समय महापंडित रावण ने लक्ष्मण को तीन बातें बताई जो जीवन में सफलता की कुंजी है। लक्ष्मण जी दुबारा रावण के पास गए और इस बार पैर की ओर खड़े हुए। लक्ष्मण जी को पैर के आगे खड़ा देख रावण विह्वल हो गया और महापंडित रावण ने लक्ष्मण को तीन बातें बताई जो जीवन में सफलता की कुंजी है।
तब भघवान राम ने कहा कि यदि किसी से ज्ञान प्राप्त करना हो तो उसके चरणों के पास खड़े होना चाहिए न कि सिर की ओर। यह बात सुनकर लक्ष्मण जाकर इस रावण के पैरों की ओर खड़े हो गए। उस समय महापंडित रावण ने लक्ष्मण को तीन बातें बताई जो जीवन में सफलता की कुंजी है। लक्ष्मण जी दुबारा रावण के पास गए और इस बार पैर की ओर खड़े हुए। लक्ष्मण जी को पैर के आगे खड़ा देख रावण विह्वल हो गया और महापंडित रावण ने लक्ष्मण को तीन बातें बताई जो जीवन में सफलता की कुंजी है।
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1-शुभ कार्य को टाल को नहीं चाहिए। जितना जल्दी हो सके शुभ काम कर लेना चाहिए। अगर देरी करेंगे तो परेशानी होगी या भविष्य में पछताना पड़ेगा।
1-शुभ कार्य को टाल को नहीं चाहिए। जितना जल्दी हो सके शुभ काम कर लेना चाहिए। अगर देरी करेंगे तो परेशानी होगी या भविष्य में पछताना पड़ेगा।
2-अपने प्रतिद्वंद्वी या शत्रु को कभी भी छोटा नहीं आंको। ऐसा करेंगे तो आप हमेशा बेहतर करेंगे। कमतर आंकने पर आपको नुकसान उठाना पड़ेगा। 3-आखिरी बात यह कि अपना राज किसी को भी मत बताओ। रावण का राज विभीषण जानता था। इसी तरह यदि आप अपने राज बताओगे तो नुकसान उठाना ही पड़ेगा।