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फिर से मंत्री बनने की थी उम्मीद 2019 के लोकसभा चुनाव में गौतम बुद्ध नगर से दूसरी बार सांसद चुने गए डॉ. महेश शर्मा के फिर से मंत्री बनने की जताई जा रही थी लेकिन ऐसा हो न सका। माना जा रहा है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश से दो सांसदों जनरल वीके सिंह और डॉ. संजीव बालियान को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। यहां से दो सांसदों को जगह मिलने के कारण अब किसी और सांसद की टीम में गुंजाइश नहीं बची होगी। इस वजह से फिलहाल उन्हें यह मौका नहीं मिला। यह भी माना जा रहा है कि अगले मंत्रिमंडल विस्तार में उनको केंद्रीय मंत्री बनाया जाएगा। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी उन्हें मंत्रिमंडल विस्तार में अहम जिम्मेदारी सौंपी गई थी। यह भी पढ़ें
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भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की भी तलाश शुरू इसके अलावा ये अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि महेश शर्मा को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी मिल सकती है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय के मंत्रिपद की शपथ लेने से इस पद पर भी योग्य चेहरे की तलाश शुरू हो गई है। यह भी पढ़ें
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स्कूल में अध्यापक थे पिता 30 सिंतबर 1959 को राजस्थान के अलवर में जन्मे महेश शर्मा के पिता का नाम कैलाश चंद शर्मा है। उनके पिता एक स्कूल में अध्यापक थे। मनेठी गांव में ही उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा हासिल की। आगे की पढ़ाई के लिए वह दिल्ली आ गए। उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज से ग्रेजुएशन किया। वह पेशे से डॉक्टर भी हैं। वह कैलाश ग्रुप ऑफ हाॅस्पिटल्स के मालिक भी हैं। यह भी पढ़ें
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2009 के लोकसभा चुनाव वह बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ गए थे। इसके बाद उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ज्वाइन की और फिर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए। 2009 के लोकसभा चुनाव में महेश शर्मा पहली बार मैदान में उतरे। भाजपा ने उन्हें यहां से टिकट दिया गया था। उस चुनाव में वह बहुजन समाज पाटी (बसपा) के सुरेंद्र नागर से करीब 16 हजार वोटों से हार गए थे। यह भी पढ़ें
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2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में फिर पार्टी ने महेश शर्मा पर भरोसा जताया था। इसमें जीतकर 2012 में वह विधानसभा पहुंचे थे। उस चुनाव में महेश शर्मा को 77 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। उन्होंने बसपा के ओमदत्त शर्मा को हराया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें फिर पार्टी उम्मीदवार बनाया। उसमें उन्हें बंपर वोट मिले थे। उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) के नरेंद्र भाटी को दो लाख 80 हजार 212 वोटों से हराया था। इसका इनाम महेश शर्मा को केंद्रीय मंत्रिमंडल में मौका देकर दिया गया। 12 नवंबर 2014 को उन्हें राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संस्कृति, पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन बनाया गया था। यह भी पढ़ें
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2019 के लोकसभा चुनाव 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने महेश शर्मा पर फिर भरोसा जताया। इस चुनाव में बसपा, सपा और रालोद ने हाथ मिलाकर सतवीर नागर को चुनाव मैदान में उतारा। सतवीर नागर ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। इस चुनाव में महेश शर्मा को 830812 वोट मिले। उन्होंने सतवीर नागर को 3 लाख 36 हजार से ज्यादा वोटों से शिकस्त दी। परिवार डॉ. महेश शर्मा की शादी 22 जनवरी 1987 को डॉ. उमा शर्मा से हुई थी। वह गाइनोकोलाॅजिस्ट हैं। वह कैलाश हेल्थकेयर लिमिटेड की वाइस प्रेसीडेंट भी हैं। उनकी बेटी का नाम पल्लवी और बेटे का नाम कार्तिक है। दोनों ही मेडिकल क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। 59 साल के डॉ. महेश शर्मा की कुल संपत्ति करीब 47 करोड़ 87 लाख रुपये है जबकि उन पर 4.38 करोड़ रुपये की देनदारी है।