यह बात एमबीबीएस ( एमडी इंटरनल मेडिसीन) डॉक्टर गिरीश चन्द्र बैष्णव ने कही। वायरस का बढ़ता खतरा और इसके बचाव विषय पर आधारित वार्ता के दाैरान उन्हाेंने कहा कि, अब जाे वायरस है वह पुराने वाले वायरस का बदला हुआ रूप है। इसका सबसे बड़ा लक्षण यह है कि यह बहुत तेजी से फैलता है। पहले जो हाई फीवर होते थे, सिम्टम्स बिल्कुल उन्हीं जैसे हैं अभी कुछ नए सिम्टम्स आए हैं जिनमें सूंघने की क्षमता बंद हाे जाती है। मलेरिया जैसे ठंड लगकर बुखार आता है। हमे इस बात काे समझना हाेगा कि अभी तक इसकी काेई दवाई नहीं है इसलिए बचाव ही दवा है।
उन्हाेंने बताया कि, वायरस के बारे में बड़े-बड़े साइंटिस्ट, मेडिकल स्पेशलिस्ट रिसर्च कर रहे हैं। अभी तक इसके दो रूप 2002 और 2012 में सामने आ चुके हैं। उस समय वायरस पर तीन से चार महीने में काबू पा लिया गया था । इस बार कोविड-19 का ताेड़ आठ महीने बाद भी नहीं है। इसका कारण यह है कि यह वायरस थोड़ा डिफरेंट है, इसके बारे में ज्यादा जानकारी किसी काे नहीं है।
ऐसे में साफ है कि जब तक इसका टीका नहीं खाेज लिया जाता तब तक हमे इसके साथ ही जीना सीखना पड़ेगा। वारयस से बचने के लिए आदतों में सुधार करना हाेगा। मास्क पहनना, हाथ धोना, सोशल डिस्टेंसिंग रखना यही इससे बचाव के तरीके हैं। जब तक इसकी दवाई की खोज नहीं हाे जाती तब तक वायरस से बचना ही बचाव है।