यह भी पढ़ें- प्यार परवान न चढ़ा तो प्रेमी-प्रेमिका ने कुछ इस तरह लगाया मौत को गले, देखने वालों के उड़ गए होश दरअसल, 10 लोगों पर मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह में फर्जीवाड़ा कर सरकार की तरफ से मिले धन को हड़पने के लिए दोबारा शादी करने का आरोप लगा है। ये विवाह ग्रेटर नोएडा के वाईएमसीए में बीते 24 फरवरी को हुए थे। इस दौरान मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत जिले में 66 जोड़ों की शादी कराई गयी थी, जिसमें 21 मुस्लिम समुदाय तथा 45 हिन्दू समुदाय की कन्याओं की शादी संपन्न हुई थी। इस सामूहिक विवाह योजना में बादलपुर थाना क्षेत्र के बम्बावड़ गांव से 11 जोड़ों की फर्जी शादी कराई गई। फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद प्रदेश सरकार की ये योजना सवालो के घेरे में आई और खूब किरकिरी भी हुई। इसके बाद प्रशासन ने फर्जी जोड़ों के खिलाफ मामला दर्ज कराकर जेल भेज दिया। वहीं फर्जी जोड़ों की जांच या सत्यापन करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को लगातार बचाया जा रहा है। अब आरोपियों के परिजनों ने खुद मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री सहित जिलाधिकारी से निष्पक्ष जांच की मांग की है और आरोप लगाया है कि उनको ग्राम प्रधान और अधिकारियों ने झूठ बोलकर फंसाया है। उनकी भी जांच होनी चाहिए।
यह भी पढ़ें- शादी के बाद पति के सामने पत्नी का खुलासा, टीनएज में 7 युवकों ने किया था 4 साल तक गंदा काम, जानिये फिर क्या हुआ परिजनों का आरोप है कि उन्हें इस योजना के बारे ज्यादा जानकारी नहीं थी। ग्राम प्रधान जसवंत ने उनसे योजना के बारे में बात की। इतना ही नहीं ग्राम प्रधान ने उनसे यह भी कहा कि जिनकी शादी पहले हो चुकी है वे भी इस योजना के पात्र हैं और उसके बाद ग्राम प्रधान खुद इन जोड़ो को विवाह स्थल तक अपनी गाड़ी से लेकर गया। परिजनों का कहना कि ग्राम प्रधान द्वारा लगातार उन्हें धमकी दी जा रही है।
इस मामले में अधिकारियों का कहना है कि किसी भी सरकारी योजना का लाभ लेने से पहले व्यक्ति की जांच ब्लॉक तहसील के अधिकारियों द्वारा की जाती है। इस योजना में शामिल होने वाले जोड़े किस जांच शामिल किए गए। परिजनों की शिकायत पर इसकी जांच की जाएगी।