अखलाक हत्याकांड के आरोपी को इस पार्टी ने किया चुनाव लड़ाने का ऐलान, अन्य सीटों पर भी प्रत्याशी तय उल्लेखनीय है कि 28 सितंबर 2015 को बिसहड़ा गांव में कुछ युवकों ने घर में बीफ रखने का आरोप लगाते हुए अखलाक की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। वहीं इस घटना में अखलाक का छोटा बेटा दानिश बुरी तरह घायल हाे गया था। बता दें कि राजपूतों के गांव बिसाहड़ा में मोहम्मद अखलाक का परिवार अकेल मुस्लिम परिवार था। वर्षों से अखलाक का परिवार यहां रह रहा था, लेकिन 28 सितंबर 2015 को हुई इस घटना ने पूरे परिवार को तोड़कर रख दिया था। आज भी बिसाहड़ा में अखलाक के मकान पर ताला लटका हुआ है। इस पर अखलाक का परिवार कहता है कि अब वे दोबारा से गांव नहीं आ सकते हैं, क्योंकि परिजनों को इतना गहरा सदमा लगा है कि वह अभी तक इससे उबर नहीं पाए हैं।
EXCLUSIVE: इन हत्यारोपियों को 2019 में चुनाव लड़ाएगी उत्तर प्रदेश नवनिर्वाण सेना, यहां देखें लिस्ट अखलाक के छोटे भाई मोहम्मद जान कहते हैं कि अब वे पूरे परिवार के साथ दिल्ली के सुब्रत पार्क स्थित एयरफोर्स के क्वार्टर्स में रहते हैं, लेकिन अब वे लौटकर बिसाहड़ा नहीं जाना चाहते हैं। मोहम्मद जान कहते हैं कि हर साल बकरीद के समय उन्हें और उनके परिवार को बहुत दुख होता है। यही कारण है कि घटना के बाद से परिवार ने ईद नहीं मनाई है। जान के अनुसार, बचाव पक्ष के वकील कई तरह की अपीलों के जरिए मामले को टाल का प्रयास कर रहे हैं। सुनवाई कर रहे जज भी दो बार बदले जा चुके हैं। वहीं अखलाक के बड़े भाई मोहम्मद सरताज, जो वायुसेना में हैं। उन्होंने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा कि वे, उनके भाई-बहन और मां मीडिया से बात करने को तैयार नहीं हैं। सरताज ने कहा, घटना का दर्द और उसके बाद जो हुआ, हम उस बारे में बात नहीं करना चाहते हैं।
भारत बंद: e-Commerce के विरोध में आज दवा की दुकानों पर लटके ताले, लोग परेशान यहां बता दें कि 2017 में इस मामले के 17 आरोपियों को जमानत पर छोड़ दिया गया था। अब अखलाक का मामला फास्ट-ट्रैक कोर्ट में है। केस दर्ज होने के बाद से अब तक इस मामले में 45 सुनवाइयां हो चुकी हैं, मगर ट्रायल शुरू नहीं हो सका है। क्योंकि नगर अदालत अब तक आरोपियों के खिलाफ लगी धाराओं पर ही बहस कर रही है। अखलाक के परिवार के वकील, युसूफ सैफी बताते हैं कि पुलिस ने सभी आरोपियों को हत्या, दंगा करने और गैरकानूनी ढंग से जमा होने जैसी धाराओं में गिरफ्तार किया है। सभी आरोपियों को जमानत मिल चुकी है। एक आरोपी रवीन सिसोदिया को जेल से अस्पताल में भर्ती कराया गया था, बाद में उसकी मौत हो गई थी।
बच्चों को पिलाई जाने वाली पोलियो की दवा में मिले प्रतिबंधित तत्व, कंपनी का एमडी पुलिस हिरासत में एक सवाल के जवाब में मोहम्मद जान कहते हैं कि केस अब तक शुरू भी नहीं हुआ है, खत्म होने का सवाल ही कहां उठता है? आरोपियों के खिलाफ अभी तक आरोप भी तय नहीं हुए हैं। जबकि यह फास्ट-ट्रैक कोर्ट है। तीन साल पहले पुलिस द्वारा दायर की गई चार्जशीट में भी उन्हीं के नाम हैं, जो अखलाक की बहन शाइस्ता ने दिए थे। इसके अलावा और लोगों (संदिग्धों) की पहचान और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए कुछ नहीं किया गया है। वहीं अधिकतर ग्रामीण इस घटना को हादसा कहते हैं। एक आरोपी विनय के पिता ओम महेश कहते हैं कि हमको एक शब्द मिल गया है मॉब लिंचिंग। जब कहीं भी कोई भीड़ किसी को पीट देती है तो लोग बिसाहड़ा की बात करते हैं। 2019 चुनाव से पहले बिसाहड़ा का नाम फिर उछलेगा और कीचड़ में घसीटा जाएगा।