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फेलिक्स हॉस्पिटल के चेयरमैन डी.के गुप्ता ने बताया कि बूस्टर डोज लगाते हुए यह ध्यान रखा जा रहा है कि जिन्होंने 39 सप्ताह पहले दूसरी डोज लगवाई है, वहीं बूस्टर डोज लगवाने के लिए पात्र है। 60 पार उम्र के बुजुर्गों और गंभीर बीमारियों से पीड़ितों को भी बूस्टर डोज के लिए पात्र माना गया है। जिसने पहले जो वैक्सीन लगवाई है, उसे उसकी ही बूस्टर डोज लग रही है। उन्होंने कहा जिन बुजुर्गों को हाइपरटेंशन, कैंसर, डायबिटिज और अस्थमा जैसी बीमारियां है उन्हें पहले बूस्टर डोज़ लगवाना चहिए। नौ माह पूरे होने के बाद ही बुजुर्गों को बूस्टर डोज लगाई जा रही थी, लेकिन जानकारी के अभाव में कई बुजुर्ग वैक्सीनेशन सेंटर पहुंच गए। वैक्सीन लगवाने के लिए पंजीकरण लाइन में लगे, लेकिन जब उन्होंने मालूम चला कि बूस्टर डोज के लिए अभी वक्त है तो उनके हाथ मायूसी लगी। बढ़ते हुए कोरोना के मामलों को देखते हुए फ्रंटलाइन वर्कर्स को पहले बूस्टर डोज़ लगाई जी रही है। अभी तक 400 फ्रंटलाइन वर्कर के स्लॉट बुक हो चुके है। बूस्टर डोज़ लगाने पहुंचें फ्रंटलाइन वर्कर्स का कहना है कि कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है इसलिए बूस्टर डोज जरूरी है। डॉ. रतनी ने कहा बूस्टर डोज लगवाने के लिए पिछले कई दिन से इंतजार कर रही थी। आज जब बूस्टर डोज लगी तो सुख पल का अहसास हुआ।
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