यह भी पढ़ें-
पीएसी के जवान बने फरिश्तें, आग और चाय से बचाई बेजुबान की जान उल्लेखनीय है कि गौतमबुद्धनगर और लखनऊ में 13 जनवरी 2019 को पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू किया गया था, लेकिन कोरोना महामारी के कारण पुलिस कमिश्नर सिस्टम की विस्तार से समीक्षा नहीं हो सकी थी। वहीं, अब अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने डीएम गौतमबुद्धनगर और लखनऊ से सीआरपीसी की धारा 133 और धाराा 145 के तहत कार्रवाई के अधिकार को पुलिस कमिश्नर से हटाकर उन्हें देने से संबंधित रिपोर्ट तलब की है। दोनों ही जिलों के डीएम से इसको लेकर आख्या मांगी गई है। कयास लगाए जा रहे हैं कि योगी सरकार जल्द इस पर निर्णय लेगी। अपर मुख्य सचिव गृह ने गौतमबुद्धनगर और लखनऊ के जिलाधिकारियों को भेजे गए पत्र में दोनों धाराओं के तहत कार्रवाई का अधिकार फिर से जिला मजिस्ट्रेट को सौंपने को लेकर सप्ताहभर में औचित्यपूर्ण रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे। अपर मुख्य सचिव गृह का कहना है कि जल्द ही इस मामले में विचार करने के बाद निर्णय लिया जाएगा।
बता दें कि कमिश्नरी सिस्टम लागू करने के बाद दोनों जिलों में पुलिस कमिश्नर को जिला मजिस्ट्रेट, अपर जिला मजिस्ट्रेट, कार्यपालक मजिस्ट्रेट की सभी शक्तियां दी गई थीं। जिससे उन्हें सीआरपीसी की धारा 133 और धारा 145 के तहत भी कार्रवाई का अधिकार दिया गया था। कानून-व्यवस्था व अपराध नियंत्रण में पुलिस अधिकारियों की व्यस्तता को देखते हुए जमीन व पानी से जुड़े विवादों के निपटारे के व्यावहारिक पहलुओं को भी देखा जा रहा है।
ये है धारा 133 सीआरपीसी की धारा 133 के तहत विधि विरुद्ध जमाव या अराजकता की शिकायत पर कार्रवाई की होती है। कार्यपालक मजिस्ट्रेट को यह अधिकार होता है कि यदि कहीं भी अराजकता की शिकायत मिलती है, जिससे शांति भंग होने का खतरा हो तो वह सभी पक्षों को सुनने के बाद न्यूसेंस को हटाने के आदेश कर सकता है।
ये है धारा 145 सीआरपीसी की धारा 145 में किसी जमीन या संपत्ति विवाद, स्वामित्व, कब्जे या जल से जुड़े विवाद में कार्रवाई का प्रावधान है। इन मामलों को लेकर यदि कहीं शांति भंग होने की आशंका हो तो उसमें पुलिस की रिपोर्ट पर कार्यपालक मजिस्ट्रेट को कार्रवाई का अधिकार होता है।