नोएडा

बड़े चौधरी के जन्‍मदिन पर आज उनके घर जाएंगे सीएम योगी

चौधरी चरण सिंह की जयंती के बहाने आज जाट वोट बैंक को साधने की तैयारी

नोएडाDec 23, 2017 / 09:27 am

lokesh verma

सीएम योगी आदित्यनाथ

नोएडा. सूबे के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज चौधरी चरण सिंह की जयंती पर बागपत में कई महत्‍वपूर्ण योजनाओं का लोकार्पण करेंगे। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो किसान पुत्र चौधरी चरण सिंह की जयंती तो भाजपा के लिए एक बहाना है। दरअसल इसके माध्यम से भाजपा अजित सिंह के पिछड़े और किसान वोट बैंक जाटों को साधने की कोशिश करेगी। जानकारी के मुताबिक वे दोपहर 1.30 बजे रमाला मिल पहुंचेंगे। जहां एक जनसभा को संबोधित करेंगे। मुख्‍यमंत्री के कार्यक्रम को लेकर प्रशासन ने सुरक्षा व्‍यवस्‍था के पुख्‍ता इंतजाम किए हैं। करीब एक हजार पुलिसकर्मियों सहित 3 पीएसी कंपनी भी मौके पर तैनात रहेंगी।
मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगमन से पहले उनके कार्यक्रम की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी हैं। स्‍थानीय विधायक सहित भाजपा नेता सीएम के कार्यक्रम की तैयारियों में जुटे हैं। वहीं पुलिस प्रशासन की ओर से भी पुख्‍ता इंतजाम किए गए हैं। इस दौरान 5 एएसपी, 13 डीएसपी, 700 कांस्टेबल, 200 निरीक्षक ड्यूटी पर लगाए गए हैं। इनके अलावा 30 थाना प्रभारी व 3 कंपनी पीएसी भी सुरक्षा व्यवस्था पर मुस्तैद रहेंगी। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा के चलते बड़े वाहनों की पार्किंग शुगर मिल परिसर से 500 मीटर दूर करने की व्यवस्था बनाई गई है। साथ ही छोटे वाहनों की पार्किंग शुगर मिल परिसर में ही होगी।

इन योजनाओं का करेंगे लोकार्पण
रमाला चीनी मिल के विस्तारीकरण का लोकार्पण
बड़ौत के पीएन शर्मा यानी शहीद पार्क का लोकार्पण
आवास-विकास कालोनी की एक सड़क का लोकार्पण
बिनौली बस स्टैंड के पास एक सड़क का लोकार्पण
जिला चिकित्सालय में ट्राॅमा सेंटर का लोकार्पण
बंथला मार्ग के चौड़ीकरण का लोकार्पण
सीएम के आगमन के राजनीतिक मायने

बागपत चौधरी चरण सिंह और उनके बाद अजित सिंह की कर्मभूमि मानी जाती है। जाट बेल्ट में अजित सिंह की राजनीति किसी जमाने में काफी प्रभावशाली मानी जाती थी। बागपत, शामली, मुजफफरनगर, मेरठ और सहारनपुर की सीटों पर जाट वोट बैंक निर्णायक भूमिका में होते थे। समय के साथ अजित सिंह अपने वोट बैंक को नहीं साध सके और यह वोट बैंक धीरे-धीरे भाजपा के पाले में सिखक गया। खुद अजित सिंह की सियासी जमीन उनके नीचे से कब चली गई, इसका पता उन्हें 2014 के लोकसभा चुनाव हारने के बाद चला। वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में रालोद के प्रत्याशी पश्चिम की अधिकांश सीटों पर अपनी जमानत भी नहीं बचा सके। यही कारण है कि अब भाजपा की नजर पश्चिम यूपी के जाट वोट बैंक पर टिकी है। क्योंकि पश्चिम उप्र में विधानसभा की करीब 90 सीटों और 15 लोकसभा सीटों पर जाट वोटर सीधे-सीधे निर्णायक भूमिका में हैं।

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