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उधर शहीद का परिवार इस कार्रवाई से छुब्ध है। परिवार का कहना है कि सरकार ने जो वादे गेट और मूर्ति बनाने के लिए वादे किए। वह सभी अधूरे पड़े हैं। अगर लोगों ने चंदा इकट्ठा कर गेट बनवा भी लिया तो इसमें किसी का क्या है। यह शहीदों का अपमान नहीं तो और क्या है। इतना ही नहीं शहीद विशाल चौधरी के पिता ने इस पूरे मामले से छुब्ध होकर गुरुवार से आमरण अनशन करने का ऐलान भी कर दिया है।
मामला बुलंदशहर सिटी इलाके की निशिकांत एंक्लेव कॉलोनी का है। वैसे तो यह कॉलोनी बीडीए यानी प्राधिकरण से एप्रूव्ड है। लोगों की भीड़ के बीच खड़ा यह पीला पंजा बुलंदशहर नगरपालिका का है। दरअसल, यहां कॉलोनी के लोगों ने चंदा करके 2 शहीदों के नाम पर स्मारक के तौर पर एक गेट बनवाया था, जिसको इस पीले पंजे ने गिरा दिया। इसके बाद शहर में घमासान मचा है। दरअसल कॉलोनी के लोगों ने जम्मू के कुपवाडा में दुश्मनों से लोहा लेते शहीद होने वाले 18 जाट बटालियन में तैनात शहीद विशाल चौधरी जो कि और 11 जाट बटालियन में तैनात बॉबी चौधरी की याद में चंदा कर एक गेट का निर्माण कराया था, जिसको नगर पालिका ने गिरा दिया। लोगों का आरोप है कि कॉलोनी प्राधिकरण से अप्रूव है और कॉलोनी के नक्शे में कॉलोनी का गेट भी है। गेट गिराने से पहले पालिका या किसी और विभाग की तरफ से कोई नोटिस नहीं दिया गया, जबकि नगर पालिका की कार्रवाई बेईमानी है। नगरपालिका के हैंडओवर अभी कॉलोनी नहीं की गई है। ऐसे में इलाके के लोग इसे शहीदों का अपमान बता रहे हैं। इतना ही नहीं लोगों का आरोप है कि जब इस पूरे मामले को लेकर नगर पालिका में समझौते के लिए बुलाया गया तो नगरपालिका कर्मचारियों ने इलाके के लोगों से मारपीट भी की, जिसमें कई लोगों को गंभीर चोटें भी आई हैं।
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शहीद के परिवारों के साथ बार एसोसिएशन भी आ गया है। बार एसोसिएशन के लोगों ने जिलाधिकारी से मिलकर इस पूरे प्रकरण की शिकायत भी की और लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की। बार एसोसिएशन के सामने आने के बाद नगर पालिका के तमाम कर्मचारी इकट्ठा हुए और मामले में बार एसोसिएशन और नगर पालिका आमने सामने हैं। भाजपा के नवनियुक्त चेयरमैन कहते हैं कि मामला सिर्फ शहीदों के गेट का है ही नहीं है। इस पूरे मामले में राजनीति हो रही है, जिस गेट को गिराया गया है वह अवैध कब्जा था, जिसको मुख्यमंत्री पोर्टल की शिकायत के बाद गिराया गया है। हालांकि, अधिशासी अभियंता प्रकरण पर पहले कुछ बोलने से बचे मगर बाद में बोले हैं कि यह सरकारी काम में बाधा है। इस पर मुकदमा भी दर्ज कराया जाएगा।
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कॉलोनी के लोग और शहीद का परिवार कहते हैं कि कॉलोनी और गेट का नक्शा बाकायदा प्राधिकरण से पास है और यह मामला प्रशासनिक अधिकारियों के संज्ञान में भी था। फिर नगरपालिका का पीला पंजा पूरी तरह मनमानी ही हुई, जबकि नगरपालिका का इस पूरे मामले में हस्तक्षेप करना ही नहीं बनता। मामले को तूल पकड़ता देख जिले के जिलाधिकारी पूरे प्रकरण से बचते नजर आए और कैमरे पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया। शहर में शहीदों के नाम पर बखेड़ा यह ठीक उस वक्त हुआ, जब दो दिन बाद प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दौरा है। ऐसे में शहीद के परिवार के पिता के आमरण अनशन का ऐलान और कॉलोनी के लोगों का आक्रोश प्रशासन किस तरीके से निपटा पाता है यह देखना लाजमी होगा।