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पहला लालच- पिकनिक स्पॉट
कुछ साल पहले तक मुरादनगर में इस नहर के किनारे एक ढाबा खोला गया। जिसने खोला उसे कमाई का लालच था। हरिद्वार-मेरठ-दिल्ली की सड़क से यात्रा करने वाले लोग ढाबे पर रुकतेे और खाना खाने के साथ-साथ नहर किनारे ठंडी-ठंडी हवा का लुत्फ भी लेते। यह रुकने वाले राहगीरों का लालच था। यह सिलसिला करीब 2013 तक चला।
दूसरा लालच- मंदिर का निर्माण –
राहगीरों की आवाजाही बढऩे लगी तो यहां नजरें गड़ाए कुछ खास लोगों का लालच भी बढ़ा। उन्होंने नहर किनारे जमीन के एक हिस्से पर कब्जा किया और भगवान भोलेनाथ को विराजित कर दिया। बगल में शनि देवता का भी मंदिर बनाया। शायद इसके पीछे वजह यह रही हो कि शनि देवता का खौफ लोगों में ज्यादा होता है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के जतन करने को तैयार रहते हैं। 2014 से इसे यही स्वरूप देते हुए तीर्थ स्थल के रूप में प्रचारित किया जाने लगा। नाम दिया छोटा हरिद्वार, क्योंकि यहां से ज्यादातर लोग हरिद्वार जाते थे। उन्हें भरोसा दिलाया गया कि समय और पैसे की बचत किजिए और हरिद्वार सा पुण्य यहीं कमाइये। कुछ राहगीर झांसे में आ गए। उन्हें यह लालच आया कि पुण्य कमाने हरिद्वार जाकर समय और पैसा क्यों बरबाद करें। सो यहीं नहाकर पाप धोने लगे। यह सिलसिला लगातार होने लगा। यानी अब पिकनिक स्पॉट खत्म और पूजा-पाठ के नाम पर लूट-खसोट का गोरखधंधा शुरू।
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पहला लालच- पिकनिक स्पॉट
कुछ साल पहले तक मुरादनगर में इस नहर के किनारे एक ढाबा खोला गया। जिसने खोला उसे कमाई का लालच था। हरिद्वार-मेरठ-दिल्ली की सड़क से यात्रा करने वाले लोग ढाबे पर रुकतेे और खाना खाने के साथ-साथ नहर किनारे ठंडी-ठंडी हवा का लुत्फ भी लेते। यह रुकने वाले राहगीरों का लालच था। यह सिलसिला करीब 2013 तक चला।
दूसरा लालच- मंदिर का निर्माण –
राहगीरों की आवाजाही बढऩे लगी तो यहां नजरें गड़ाए कुछ खास लोगों का लालच भी बढ़ा। उन्होंने नहर किनारे जमीन के एक हिस्से पर कब्जा किया और भगवान भोलेनाथ को विराजित कर दिया। बगल में शनि देवता का भी मंदिर बनाया। शायद इसके पीछे वजह यह रही हो कि शनि देवता का खौफ लोगों में ज्यादा होता है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के जतन करने को तैयार रहते हैं। 2014 से इसे यही स्वरूप देते हुए तीर्थ स्थल के रूप में प्रचारित किया जाने लगा। नाम दिया छोटा हरिद्वार, क्योंकि यहां से ज्यादातर लोग हरिद्वार जाते थे। उन्हें भरोसा दिलाया गया कि समय और पैसे की बचत किजिए और हरिद्वार सा पुण्य यहीं कमाइये। कुछ राहगीर झांसे में आ गए। उन्हें यह लालच आया कि पुण्य कमाने हरिद्वार जाकर समय और पैसा क्यों बरबाद करें। सो यहीं नहाकर पाप धोने लगे। यह सिलसिला लगातार होने लगा। यानी अब पिकनिक स्पॉट खत्म और पूजा-पाठ के नाम पर लूट-खसोट का गोरखधंधा शुरू।
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देखें वीडियो: चश्मदीद ने बताई सच्चाई
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तीसरा लालच- जब शैतान जाग गया
चलिए, मंदिर के निर्माण तक भी लालच ठीक था। दिक्कत तब शुरू हुई, जब कुछ लोगों के मन में शैतान जाग गया। जी हां, आरोप है कि यहां कुछ बदमाश किस्म के गोताखोर हैं, जो यहां आए लोगों से न सिर्फ लूटपाट कर रहे हैं बल्कि, उन्हें नहर में ही डुबोकर मार देते हैं। गाजियाबाद की लोनी विधानसभा सीट से भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने तो यह आरोप भी लगाया है कि गोताखोर डुबोने के बाद शव को नीचे पत्थरों में रस्सी से बांध देते हैं, जिससे शव ऊपर नहीं आए। इसके बाद परिजनों से मोटी रकम वसूलने के बाद ही गोताखोर शव को बाहर निकालते हैं। आरोप तो यह भी है कि इन सब करतूतों में मंदिर के पुजारी सहित पुलिसकर्मी भी मिले हुए हैं। तो ये तीसरे किस्म का लालच है, जिसमें कुछ शैतान थोड़े से जेवर-गहने और धन के बदले लोगों को मारने पर उतारू हो गए हैं।
चलिए, मंदिर के निर्माण तक भी लालच ठीक था। दिक्कत तब शुरू हुई, जब कुछ लोगों के मन में शैतान जाग गया। जी हां, आरोप है कि यहां कुछ बदमाश किस्म के गोताखोर हैं, जो यहां आए लोगों से न सिर्फ लूटपाट कर रहे हैं बल्कि, उन्हें नहर में ही डुबोकर मार देते हैं। गाजियाबाद की लोनी विधानसभा सीट से भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने तो यह आरोप भी लगाया है कि गोताखोर डुबोने के बाद शव को नीचे पत्थरों में रस्सी से बांध देते हैं, जिससे शव ऊपर नहीं आए। इसके बाद परिजनों से मोटी रकम वसूलने के बाद ही गोताखोर शव को बाहर निकालते हैं। आरोप तो यह भी है कि इन सब करतूतों में मंदिर के पुजारी सहित पुलिसकर्मी भी मिले हुए हैं। तो ये तीसरे किस्म का लालच है, जिसमें कुछ शैतान थोड़े से जेवर-गहने और धन के बदले लोगों को मारने पर उतारू हो गए हैं।
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जिम्मेदार जागते क्यों नहीं –
सबसे ज्यादा जो परेशान करने वाली बात है, वह यह कि इस पूरे मामले से जुड़े जो जिम्मेदार अफसर हैं, वे अब भी जागने को तैयार नहीं हैं। सबसे पहले तो उनके क्षेत्र में बीते करीब डेढ़ महीने में एक दर्जन से अधिक लोगों की अचानक डूबने से मौत होने लगी। शिकायत के लिए लोग जाएं तो उन्हें भगा दिया जाए और पूरे मामले में विधायक की बात भी नहीं सुनी जाए, यह तो शर्मनाक है। और अब भी ऐसी कोई तेजी जिम्मेदार अफसरों की तरफ से दिखाई नहीं पड़ रही। विधायक के पत्र को संज्ञान में लेते हुए जिलाधिकारी रितु माहेश्वरी ने मोदीनगर के एसडीएम को जांच जरूर सौंप दी है, लेकिन पांच दिनों बाद भी अब तक कोई ठोस नतीजे सामने नहीं आए हैं। पुलिस ने भी अब तक किसी को गिरफ्तार कर पूछताछ शुरू नहीं की है।
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जिम्मेदार जागते क्यों नहीं –
सबसे ज्यादा जो परेशान करने वाली बात है, वह यह कि इस पूरे मामले से जुड़े जो जिम्मेदार अफसर हैं, वे अब भी जागने को तैयार नहीं हैं। सबसे पहले तो उनके क्षेत्र में बीते करीब डेढ़ महीने में एक दर्जन से अधिक लोगों की अचानक डूबने से मौत होने लगी। शिकायत के लिए लोग जाएं तो उन्हें भगा दिया जाए और पूरे मामले में विधायक की बात भी नहीं सुनी जाए, यह तो शर्मनाक है। और अब भी ऐसी कोई तेजी जिम्मेदार अफसरों की तरफ से दिखाई नहीं पड़ रही। विधायक के पत्र को संज्ञान में लेते हुए जिलाधिकारी रितु माहेश्वरी ने मोदीनगर के एसडीएम को जांच जरूर सौंप दी है, लेकिन पांच दिनों बाद भी अब तक कोई ठोस नतीजे सामने नहीं आए हैं। पुलिस ने भी अब तक किसी को गिरफ्तार कर पूछताछ शुरू नहीं की है।