पौराणिक कथा के अनुसार इसी दिन भगवान कृष्ण ने एक दैत्य नरकासुर का संहार किया था। इसलिए सूर्योदय से पूर्व उठकर, स्नानादि से निपट कर यमराज का तर्पण करके तीन अंजलि जल अर्पित करने का विधान है। इसके बाद संध्या के समय रात का खाने खाने के बाद और सोने से पहले घर के बाहर एक दीपक जलाए जाते हैं। मान्यता है कि इस दिए को जलाकर आने के बाद देखना नहीं चाहिए और न हीं घर के किसी भी सदस्य को इसे देखना चाहिए।
नरक चतुर्दश या छोटी दिवाली के ही दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं को अनुसार, इसी दिन भगवान हनुमान ने माता अंजना के गर्भ से जन्म लिया था। इस दिन भक्त दुख और भय से मुक्ति पाने के लिए हनुमान जी की पूजा-अर्चनाा करते हैं।
इसे मुक्ति का त्योहार भी कहते हैं। इसलिए नरक से बचने के लिए सुबह सूर्योदय से पहले आटा, तेल और हल्दी को मिलाकर उबटन तैयार किया जाता है और शरीर की मालिश करके स्नान किया जाता है। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ दिया जाता है। इसके बाद पानी में तिल डालकर यमराज को तर्पण दिया जाता है। शाम को घर के बाहर दिया जलाते हैं।
यमय धर्मराजाय मृत्वे चान्तकाय च |
वैवस्वताय कालाय सर्वभूत चायाय च |