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हर किसी के मन में कभी न कभी तो ये ख्याल आया ही होगा कि आखिर इन नंबरों का मतलब क्या है। वहीं जो लोग अक्सर चेक से लेनदेन करते हैं तो उन्हें ये तो पता ही होता है कि इन नंबरों में से एक चेक नंबर होता है लेकिन अधिकांश को ये नहीं पता होता कि अन्य नंबर किस लिए होते हैं। आज हम नोएडा के सेक्टर-135 स्थित फेडरल बैंक के मैनेजर राजीव कुमार अग्रवाल के माध्यम से इनकी जानकारी देने जा रहे हैं। राजीव बताते हैं कि प्रत्येक चेक पर अकाउंट नंबर, डेट, नाम के अलावा नीचे की तरफ चार हिस्सों में कुल 23 नंबर लिखे होते हैं। इन नंबरों का बेहद खास मतलब होता है और इससे लोग किसी भी चेक को देखकर यह पता लगा सकते हैं कि ये चेक किस शहर के बैंक ब्रांच का है।
चार हिस्सों में लिखे होते है 23 डिजिट दरअसल, चेक पर लिखे ये 23 नंबर अलग अलग चार हिस्सों में लिखे होते हैं। इनमें पहले हिस्से में जहां 6 नंबर लिखे होते हैं, वहीं दूसरे हिस्से में 9 नंबर लिखे होते हैं। इसके साथ ही तीसरे हिस्से में 6 व चौथे और आखिरी हिस्से में कुल 2 नंबर लिखे होते हैं।
पहला हिस्सा होता है चेक नंबर चेक में नीचे की तरफ लिखे हुए नंबरों में पहला हिस्सा चेक नंबर बताता है। ये चेक नंबर कुल 6 नंबर का होता है। चेकबुक में कुल चेक की संख्या के हिसाब से ये चेक नंबर बैंक द्वारा प्रिंट किए जाते हैं।
दूसरा हिस्सा बताता है MICR कोड – दूसरा हिस्सा एमआईसीआर कोड बताता है। इसका मतलब Magnetic Ink Corrector Recognition होता है। – दूसरे हिस्से यानि एमआईसीआर कोड जो है उसमें आगे के कुल नौ डिजिट्स शामिल होते हैं।
– यह नंबर बताता है कि आपका चेक किस बैंक से जारी हुआ है। – इस नंबर को चेक रीडिंग मशीन पढ़ती है और यह तीन हिस्सों में बंटा होता है।
तीसरा हिस्सा -नंबर का तीसरा हिस्सा आपके बैंक अकाउंट नंबर के बारे में बताता है। -इसमें अगली छह डिजिट या तीसरा हिस्सा बैंक एकाउंट नंबर की जानकारी देता है। -बता दें कि ये नंबर सिर्फ नई इलेक्ट्रॉनिक चेक बुक्स में होता है, पहले की चेक बुक्स में ये नंबर नहीं होता था।
चौथा हिस्सा -चेक पर चौथा हिस्सा ट्रांस्जेक्शन आईडी होता है। -वहीं आखिरी की दो डिजिट ट्रांस्जेक्शन आईडी होती हैं। 29, 30 और 31 नंबर एट पार चेक को दर्शाते हैं और 09, 10 और 11 लोकल चेक को।
3 हिस्सों में बंटा होता है 9 डिजिट का MICR code – प्रत्येक चेक के दूसरे हिस्से की नौ डिजिट कुल तीन हिस्सों में बंटी होती है। – इसमें पहला हिस्सा सिटी कोड होता है और इसकी मदद से यह पता लगाया जा सकता है कि चेक किस शहर का है।
-वहीं दूसरा हिस्सा बैंक कोड होता है। इसकी तीन डिजिट यूनीक कोड होता है। प्रत्येक बैंक का अलग यूनीक कोड होता है। -इसका तीसरा हिस्सा ब्रांच कोड के बारे में बताता है क्योंकि हर बैंक की ब्रांच का ब्रांच कोड अलग होता है। इस कोड का बैंक से जुड़े हर ट्रांजैक्शन में इस्तेमाल किया जाता है।